माओ से मार्क्सवाद की तरफ चीन का प्रवास

राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने की कार्ल मार्क्स की प्रशंसा

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बीजिंग – चीन को भविष्य में विजय प्राप्त करना है तो मार्क्सवाद का आधार लेना होगा, ऐसा कहकर चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने काल मार्क्स यह दुनिया के सबसे बड़े तत्वज्ञ होने का दावा किया है। कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रवर्तक कार्ल मार्क्स की २००वी जयंती के निमित्त से चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने यह विधान किए हैं। उनके इस विधान के पीछे बहुत बड़ा राजनीतिक अर्थ होने के संकेत मिल रहे हैं। राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग चीन को माओ त्से तुंग इनसे दूर करके कार्ल मार्क्स की तरफ ले जाने की तैयारी में होने की बात उनके विधान से दिखाई दे रही है।

राजधानी बीजिंग के ग्रेट हॉल में हुए एक विशेष कार्यक्रम में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने कार्ल मार्क्स के विषय में प्रशंसा करके अपने पक्ष भी उनका अनुकरण करें, ऐसा आवाहन किया है। चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के झंडे पर मार्क्सवाद का उल्लेख होना योग्य है। चीनी संस्कृति एवं आधुनिक मार्क्सवाद का अविरत तौर पर प्रचार करना यह भी योग्य है। कम्युनिस्ट पार्टी के सभी सदस्यों ने मार्क्स के लेखन पढ़े और उनके सिद्धांत जीवनशैली का भाग के तौर पर स्वीकारे ऐसी अपेक्षा जिनपिंग ने व्यक्त है।

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दो शतक के बाद मानवसमाज में बहुत बड़े बदलाव होने पर भी कार्ल मार्क्स का नाम आज भी दुनिया भर में अत्यंत विनम्रता से लिया जाता है। मार्क्स के सिद्धांत सत्य पर प्रकाश डालने वाले है, ऐसे पहचाने जाते हैं ऐसे शब्दों में कार्ल मार्क्स की प्रशंसा करके जिनपिंग ने चीन अपने भविष्य के गतिविधियों के लिए मार्क्सवाद का आधार ले, ऐसा आवाहन किया है। चीन की अधिक प्रगति करनी चाहिए, पहल करनी चाहिए और अपने भविष्य में विजय प्राप्त करना चाहिए। व्यवहार की समस्या सुलझाने के लिए तथा अपने अभ्यास के लिए मार्क्सवाद का उपयोग प्रभावित तौर पर कैसा किया जा सकता है, इसपर जोर देना चाहिए ऐसा राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने सूचित किया है।

मार्क्स यह मानव इतिहास के सबसे बड़े विद्वान होकर मार्क्सवाद पर चीन का विश्वास अभंग है, यह हम उजागर तौर पर घोषित कर रहे हैं, ऐसे शब्दों में जिनपिंग ने चीन की आनेवाली गतिविधियां कार्ल मार्क्स इनके विचारधारा पर आधार आधारित रहेगी ऐसे संकेत दिए है।

१९४९ वर्ष में चीन में हुए साम्यवादी क्रांति के प्रवर्तक माओ त्से तुंग ने चीन के राष्ट्रपिता एवं सर्वोच्च नेता के तौर पर पहचान बनाई है। पिछले ७ दशकों में चीन की गतिविधियां माओ इनके विचारधारा पर आधारित माओवाद पर हुई है और चीन का साम्यवाद यह भी माओ इनके विचारधारा पर निर्भर है। चीन की कम्युनिस्ट पक्ष के विचारधारा का मूल मार्क्सवाद है। फिर भी मैं इनके चीन जैसे देश में यह तत्वज्ञान अधिक व्यवहारिक एवं प्रभावी तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है. ऐसी चीन आज तक की चीन की भूमिका थी। अन्य विकसित देशों ने भी माओ प्रचारित कम्युनिस्ट विचारधारा का पुरस्कार करें, ऐसा चीन का आग्रह था।

पर राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने पिछले कई वर्षों में माओवाद से दूर होना शुरू किया है। पिछले कई वर्षों में माओ एवं उनके विचारधारा पर आधारित कार्यक्रमों को सरकारी स्तर पर अधिक प्रसिद्धि एवं स्थान नहीं दिया जा रहा ही। इसके विपरीत जिनपिंग माओं के समान अथवा उन से श्रेष्ठ नेता होने का प्रचार शुरू है। इसके लिए जिनपिंग इनके विचारों को कम्युनिस्ट विचारधारा की घटना में भी विशेष स्थान दिया जा रहा है।

माओवाद से दूर जाते समय चीन पर पकड़ कायम रखने के लिए जिनपिंग ने कार्ल मार्क्स का आधार लेने की बात शुक्रवार को हुए कार्यक्रम में दिखाई दे रही है। मार्क्स इनके २००वें जयंती पर चीन से बहुत बड़े तादाद में एवं अधिकृत स्तर पर मनाई गई है। माओ इनकी इनको पीछे डालते हुए अब चीन की यात्रा मार्क्सवाद की तरफ शुरू होने की बात राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने दिखाई दी है। इनके जगह कार्ल मार्क्स का चुनाव चीन के रशिया के साथ संबंध के लिए उपयुक्त बात हो सकती है।

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