‘सीपीईसी’ के मुद्दे पर चीन ने पाकिस्तान को मुश्‍किलों में फंसाया

इस्लामाबाद – ‘चायना पाकस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर’ (सीपीईसी) प्रकल्प पाकिस्तान का भविष्य है, यह बयान प्रधानमंत्री इम्रान खान ने किया था। लेकिन, पाकिस्तान का यह प्रकल्प ही अब ठंड़ा पड़ा है और इस वजह से पाकिस्तान का भविष्य भी डोलता होता दिखाई देने लगा है। चीन की हुकूमत ने इस प्रकल्प का नीधि रोकने की जानकारी सामने आ रही है। पाकिस्तान को मुश्‍किलों में फंसाने के लिए चीन ने यह चाल चली है, यह दावा पश्‍चिमी विश्‍लेषक कर रहे हैं। तभी यह प्रकल्प पाकिस्तान के लिए ‘ट्रिलियन डॉलर ब्लंडर’ साबित होगा, यह दावे पश्‍चिमी समाचार पत्र कर रहे हैं।

‘सीपीईसी’

चीन और पाकिस्तान ने ६४ अरब डॉलर्स लागत के ‘सीपीईसी’ प्रकल्प के निर्माण के लिए समझौता किया था। लेकिन, इस प्रकल्प के लिए निधी देने से चीन ने ही इन्कार किया है। यह प्रकल्प गतिमान करने के लिए आवश्‍यक रेल यंत्रणा मज़बूत करने के लिए पाकिस्तान को कराची से पेशावर के बीच रेल लाईन का विस्तार करने के साथ ही मौजूदा रेल प्रणाली का आधुनिकीकरण करना आवश्‍यक है। इस रेल का आधुनिकीकरण होने से पाकिस्तान में डेढ़ लाख रोजगार उपलब्ध होंगे, यह दावा इम्रान खान की सरकार ने किया था। साथ ही कराची से पेशावर के बीच सामान का परिवहन सुधरेगा यह विश्‍वास भी पाकिस्तान की सरकार व्यक्त कर रही है। अगले वर्ष के जनवरी से इस रेल प्रकल्प के काम की शुरूआत होना आवश्‍यक था।

‘सीपीईसी’

इस रेल प्रकल्प के लिए चीन ने ‘सीपीईसी’ के तहत पाकिस्तान को कर्ज प्रदान करने की तैयारी दिखाई थी। करीबन सात अरब डॉलर्स के इस रेल प्रकल्प के लिए चीन ने पाकिस्तान को एक प्रतिशत ब्याजदर से कर्ज प्रदान करने की बात संबंधित समझौते में स्वीकार की थी। लेकिन समझौते की इस शर्त से चीन पीछे हटा है, ऐसी खबरें पाकिस्तानी माध्यम दे रहे हैं। इस प्रकल्प के लिए एक प्रतिशत ब्याजदर से कर्ज प्रदान करने के लिए चीन ने अब स्पष्ट इन्कार किया है। चीन ने पाकिस्तान के सामने अब इस कर्ज का ब्याजदर बढ़ाने की शर्त रखी है। इस प्रकल्प के ९० प्रतिशत खर्च का भार चीन उठा रहा है। इस वजह से चीन ने ब्याजदर में बढ़ोतरी की तो इसका पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पडेगा, यह दावा किया जा रहा है।

तभी इस प्रकल्प में चीन के अलावा अन्य किसी भी देश की कंपनी शामिल नहीं हो सकती, यह शर्त भी चीन ने रखी है। इस वजह से पूरी तरह से चीन के निवेश पर निर्भर पाकिस्तान को जिनपिंग की हुकूमत ने अब मुश्‍किलों में फंसाया है, यह आलोचना दबी आवाज़ में हो रही है। तभी पाकिस्तान को झुकाने के लिए ही चीन ने यह चाल चली है, यह दावा पश्‍चिमी विश्‍लेषक कर रहे हैं। तभी चीन ने ‘सीपीईसी’ प्रकल्प को निधी की आपूर्ति नहीं की तो यह प्रकल्प समेटा जाएगा, यह चिंता पाकिस्तान के पत्रकार जता रहे हैं। पहले के दिनों में ‘सीपीईसी’ प्रकल्प की वजह से पाकिस्तान संपन्न देश होगा, ऐसे सपने जनता को दिखाए गए थे। लेकिन, अब यह प्रकल्प ही खतरे में होने से पाकिस्तान को बड़ी मुश्‍किल होगी, यह बात इस देश के विश्‍लेषक और पत्रकार स्वीकार रहे हैं। इसी बीच ‘सीपीईसी’ में हुए भ्रष्टाचार में पाकिस्तान के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों का हाथ होने की बात सामने आने से सेना की चिंता में भी बढ़ोतरी हुई है।

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