म्यांमार पर चीन का वर्चस्व भारत की सुरक्षा को चुनौती देनेवाला – रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत का इशारा

नई दिल्ली – म्यांमार पर चीन की पकड़ अधिक मज़बूत हुई है, इस ओर ध्यान आकर्षित करके इससे भारत की सुरक्षा के लिए मुमकिन खतरे की ओर रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने ध्यान आकर्षित किया है। साथ ही रोहिंग्या शरणार्थियों का इस्तेमाल करके चरमपंथी गुट इस क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकते हैं, यह इशारा भी रक्षाबलप्रमुख ने दिया। लद्दाख के ‘एलएसी’ पर भारत पर दबाव ड़ालने में पूरी तरह से नाकाम हुआ चीन इस मार्ग से भारत की सुरक्षा के लिए खतरा निर्माण कर सकता है, इस बात का अहसास जनरल रावत ने कराया। लद्दाख के ‘एलएसी’ पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन की १२वीं चर्चा शुरू होने से पहले रक्षाबलप्रमुख का यह बयान भारत चीन पर भरोसा करने के लिए तैयार ना होने की बात स्पष्टरूप से दर्शाता है।

चीन का वर्चस्वम्यांमार की सेना ने फ़रवरी में बगावत करके लोकतांत्रिक नेता ऐंग सैन स्यू की लोकनियुक्त सरकार का तख्ता पलटा था। इसके बाद से म्यांमार की सत्ता सेना के हाथों में ही है। चीन ने ही यह विद्रोह करवाया है, ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। म्यांमार की सेना को रोकने के लिए अमरीका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने प्रतिबंध लगाए हैं। लेकिन, इन प्रतिबंधों का लाभ चीन को प्राप्त हो रहा है। क्योंकि, इन प्रतिबंधों का इस्तेमाल करके चीन अपने ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव-बीआरआय’ के तहत म्यांमार में बड़ा निवेश कर रहा है। इससे म्यांमार पर चीन की पकड़ अधिक मज़बूत हुई है। यह बात भारत के सुरक्षा विषयक हितों को चुनौती देनेवाली साबित होती है।

इस पृष्ठभूमि पर भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में चीन की इन हरकतों पर भारत को बारिकी से नज़र रखने की जरुरत होने का इशारा दिया गया है। ‘ऑपर्च्युनिटीज्‌ ऐण्ड चैलेन्जेस इन नॉर्थ-ईस्ट इंडिया’ विषय पर आयोजित परिषद में रक्षाबलप्रमुख बोल रहे थे। म्यांमार की स्थिति पहले जैसी होना भारत के लिए काफी अहम है। क्योंकि, भारत के म्यांमार के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, ऐसा बयान भी जनरल रावत ने किया। ईशान कोण राज्यों को देश से जोड़नेवाले ‘सिलिगुडी कॉरिडॉर’ या ‘चिकन नेक’ की सुरक्षा की अहमियत भी जनरल रावत ने इस दौरान बड़ी तीव्रता से रेखांकित की। चीन की इस क्षेत्र में हरकतों की वजह से ‘चिकन नेक’ की सुरक्षा अब संवेदनशील मुद्दा बना है, ऐसा कहकर रक्षाबलप्रमुख ने यह इशारा दिया कि, चीन इस मार्ग से भारत की सुरक्षा के सामने नई चुनौती खड़ी करने की तैयारी में जुटा है।

साथ ही म्यांमार से अन्य देशों में घुसपैठ कर रहे रोहिंग्या शरणार्थियों से होनेवाले खतरे का भी जनरल रावत ने इस दौरान अहसास कराया। इस क्षेत्र की शांति और स्थिरता को चुनौती देने के लिए चरमपंथी इन्हीं रोहिंग्या शरणार्थियों का इस्तेमाल कर सकते हैं, ऐसा इशारा रक्षाबलप्रमुख ने दिया। सीधा ज़िक्र किए बगैर ही इसमें चीन की साज़िश होने के संकेत इस माध्यम से जनरल रावत ने दिए हैं।

लद्दाख के ‘एलएसी’ पर भारत पर दबाव ड़ालने की हर मुमकिन कोशिश करने के बावजूद सफलता ना हासिल ना होने से चीन अलग मार्ग से भारत को सबक सिखाने की तैयारी में है। इसके लिए चीन ने ‘एलएसी’ के अन्य स्थानों से घुसपैठ करने की कोशिश की। लेकिन, इस रणनीति की पूरी तरह से जानकारी रखनेवाले भारतीय रक्षाबलों ने चीन को इस मोर्चे पर कामयाबी हासिल होने नहीं दी। इस वजह से अपने प्रभाव वाले म्यांमार का इस्तेमाल करके चीन अब भारत के सामने नई चुनौती खड़ी करने की तैयारी में होता दिख रहा है। भारत के सिलिगुडी कॉरिडॉर के पास वाले क्षेत्र में अस्थिरता निर्माण करके ईशान कोण के राज्य भारत से तोड़ने की साज़िश पर चीन काम कर रहा है, ऐसी खबरें कुछ समय पहले सामने आयी थीं। इसके पीछे चीन की यही साज़िश होने की बात स्पष्ट हो रही है।

इसी बीच, चीन से प्राप्त हो रही इन चुनौतियों के साथ ही ईशान कोण सीमा पर आतंकी हरकतें, अवैध शरणार्थी एवं नशीले पदार्थों की तस्करी की समस्या देश के लिए घातक साबित होगी, ऐसा इशारा जनरल रावत ने दिया। इन चुनौतियों को पस्त करने के लिए केंद्रीय और राज्यों के सुरक्षा बलों को अधिक सतर्क रहना होगा। साथ ही इस क्षेत्र के देश एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक एवं लष्करी सहयोग बढ़ाना होगा, ऐसा जरनल रावत ने कहा है। ईशान कोण राज्यों में आतंकी संगठनों को परास्त करने की कार्रवाईयाँ लगातार जारी रखी गईं थी। बांगलादेश, भूटान और म्यांमार में आतंकियों को प्राप्त हो रहा आश्रय कम हुआ है और इससे ईशान कोण राज्यों में रक्तपात बंद हुआ, इस बात की याद भी रक्षाबलप्रमुख ने दिलाई।

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