चीन ने दुबारा भारत के नक्शे में बदलाव किए

नई दिल्ली – पाकिस्तान के कब्जेवाला कश्मीर का हिस्सा और अरूणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा दिखानेवाला नक्शा प्रसिद्ध करके भारतीयों को सुखभरा झटका देनेवाले चीन ने इस नक्शे में दुबारा बदलाव किया है| भारतीय माध्यमों ने इस संबंधी वृत्त प्रसिद्ध किया है और चीन के बरताव में नरमाई आने का दावा किया था| इस तरह के समाचारों पर बडी संवेदनशीलता दिखानेवाले चीन ने इस पर तुरंत पहले प्रसिद्ध किए अपने नक्शे में बदलाव किए है| गलती से यह नक्शा प्रसिद्ध किया गया था, यह संकेत भी चीन से दिए जा रहे है| लेकिन, कुछ दिन पहले अरूणाचल प्रदेश का भारत में समावेश होनेवाले हजारों नक्शे नष्ट करनेवाले चीन से ‘बीआरआई’ परियोजना का नक्शा प्रसिद्ध करते समय इतनी बडी गलती होना संभव ही नही| इस वजह से चीन ने भारत को संदेशा देने के लिए यह नक्शा प्रसिद्ध किया था, यह संकेत प्राप्त हो रहे है|

चीन में ‘बेल्ट ऍण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ (बीआरआई) परियोजना पर तीन दिनों की परिषद का आयोजन किया गया था| शनिवार के दिन यह परिषद समाप्त हुई| लेकिन, इस परिषद के पहले ही दिन चीन ने प्रसिद्ध किए नक्शे में पाकिस्तान ने कब्जा किया कश्मीर का हिस्सा और अरूणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा दिखाया था|

इसी बीच ‘बीआरआई’ परियोजना में भारत शामिल होने की बात भी इस नक्शे के जरिए से दिखाने की चीन की कोशिश थी| इतना ही नही, बल्कि पाकिस्तान ने चीन को दिए ‘अक्साई चीन’ का भूभाग भी भारत का ही हिस्सा है, यह इस नक्शे में दिखाया था|

चीन के व्यापार मंत्रालय की वेबसाईट पर प्रसिद्ध हुए इस नक्शे को भारतीय माध्यमों ने जोरदार प्रसिद्धी दी| चीन ‘बीआरआई’ परियोजना में भारत भी शामिल हो, यह निवेदन कर रहा है| इस परियोजना पर भारत ने रखी आपत्ति पर चीन विचार करेगा, लेकिन, उसके पहले भारत इस परियोजना में शामिल होने का निर्णय करें, यह लालच भी चीन ने दिखाया था| लेकिन, भारत ने चीन की इस परियोजना को डटकर विरोध किया है| चीन की यह परियोजना पाकिस्तान ने कब्जा किए कश्मीर से गुजर रही है और इस क्षेत्र पर भारत का सार्वभूम अधिकार है| यह अधिकार चीन स्वीकार करे, इसके बगैर भारत इस परियोजना पर ध्यान नही देगा, ऐसा भारत सरकारने घोषित किया था|

इसी बीच चीन की यह महत्वाकांक्षी परियोजना अन्य देशों की सार्वभूमता के लिए खतरनाक बन रही है, यह चिंता भारतीय मुत्सद्दी एवं विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे है| लेकिन, भारत ने इस परियोजना में शामिल हुए बिना यह परियोजना व्यवहार्य साबित नही हो सकती, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है| इसीलिए चीन ने इस परियोजना में भारत को शामिल कराने के लिए चीन ने दबाव बनाने की कोशिश की थी| इसके आगे की कोशिस के तहेत चीन ने भारत को उम्मीद भी नही थी, इस तरह से नक्शा प्रसिद्ध करके अपनी भूमिका में नरमाई बरतने के संकेत दिए| लेकिन, भारतीय माध्यमों ने इससे चीन दे रहा संदेशा पकडकर उसे बडी प्रसिद्धी दी| इस वजह से चीन ने तुरंत भारत के नक्शे में बदलाव किया दिख रहा है| अधिकृत स्तर पर चीन ने इस बारे में किसी भी प्रकार का खुलासा किया नही है| इस वजह से इस घटना की संदिग्धता और भी बढ रही है|

इस दौरान, ‘बांगलादेश-चाइना-इंडिया-म्यानमार’ (बीसीआईएम) यह परियोजना चीन की ‘बीआरआई’ के तहेत नही आएगी, यह बात स्पष्ट हुई है| भारत ने ‘बीआरआई’ में शामिल ना होने की कडी भूमिका स्वीकारी थी| इस वजह से यह बदलाव किया गया है, यह कहा जा रहा है|

भारत के साथ ही जापान और अमरिका ने चीन की ‘बीआरआई’ परियोजना के विरोध में कडी भूमिका अपनाई है| इस परियोजना का इस्तेमाल करके चीन आर्थिक स्तर पर कमजोर रहे देशों को अपने कर्ज के चंगुल में फंसा रहा है, यह चेतावनी अमरिका ने दी थी| जापान ने भी चीन की इस परियोजना से सावधानी बरतने का इशारा दिया?था| वही, मलेशिया ने चीन की परियोजना रद्द करके इस चंगुल से खुद को रिहा किया था| श्रीलंका को इसी तरह से कर्ज के चंगुल में फंसाकर चीन ने इस देश के हंबंटोटा बंदरगाह पर कब्जा करने की बात उजागर हुई थी| इस वजह से चीन पर प्रमुख देशों से हो रहे आरोपों की विश्‍वासार्हता और भी बढ रही है| इसी बीच चीन ने रखे उद्देशों को लेकर संदिग्धता भी बढ रही है| ऐसी स्थिति में भारत जैसा देश ‘बीआरआई’ का हिस्सा होता है तो चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को नवसंजीवनी प्राप्त हो सकती है| इसी लिए चीन ‘बीआरआई’ परियोजना में भारत को शामिल कराने के लिए कडी कोशिश कर रहा है और इसके लिए भारत के साथ समझौता करने की तैयारी भी दिखा रहा है|

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