चीन के कारनामें उक़साऊ और बेचैन करनेवाले – भारत-चीन सीमा पर के तनाव पर अमरीका की प्रतिक्रिया

नई दिल्ली/वॉशिंग्टन/बीजिंग,  (वृत्तसंस्था) – चीन द्वारा भारतीय सीमा पर जारी कारनामों पर अमरीका ने आलोचना की है। चीन के ये कारनामें उक़साऊ होकर, चीन अपनी बढ़ती ताक़त का इस्तेमाल किस प्रकार करता है, यह इससे स्पष्ट होता है, इन शब्दों में अमरीका की विदेश विभाग की मध्य और दक्षिण एशिया के लिए उपमंत्री एलिस वेल्स ने चीन की ख़बर ली। भारत और चीन की सीमा पर बने तनाव के लिए चीन द्वारा किया जा रहा ताकत का अतिरेकी प्रदर्शन कारणीभूत होने का आरोप करके वेल्स ने भारत का पक्ष रखा हुआ दिख रहा है। भारत की सीमा और साऊथ चायना सी में चल रहें ऐसे आक्रमक कारनामों के कारण समान विचारोंवाले देश एकसाथ आ रहे हैं, इसपर वेल्स ने ग़ौर फ़रमाया। वेल्स की इस प्रतिक्रिया से चीन को मिर्ची लगी होकर, चीन ने भारत के साथ राजनैतिक मार्ग से चर्चा शुरू है, ऐसा कहा है। साथ ही, अमरीका इसमें दख़लअन्दाज़ी ना करें, ऐसी सलाह भी चीन के विदेश मंत्रालय ने दी है।

लद्दाख, सिक्कीम और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर चीन द्वारा घुसपैंठ की कोशिशें की गयीं थीं। लद्दाख में फिलहाल गलवान नदी क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिक आमनेसामने खड़े हुए होकर, दोनों देशों के सैनिकों ने यहाँ पर अपने अपने तंबू गाड़े हैं। साथ ही, सेनातैनाती भी बढ़ायी है। चीन की सरकार का मुखपत्र होनेवाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ में यह ज़हर उगला गया था कि लद्दाख की परिस्थिति के लिए भारत ही ज़िम्मेदार है। भारतीय सैनिकों ने ही सीमा का उल्लंघन किया होने का उल्टा आरोप किया गया था। उसके बाद गुरुवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने भी, भारतीय सैनिकों ने सीमाक्षेत्र का उल्लंघन किया होने के आरोप किये।

भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन द्वारा जारी इन आरोपों का जवाब दिया है। भारतीय सैनिक गश्त लगा रहे थे, तभी चिनी सैनिक ही बीच में आ गये। भारतीय सैनिकों को सीमा पर की परिस्थिति की पूरी जानकारी है। उनकी गश्त भारतीय सीमा में ही लगा रहे थे। भारतीय सैनिक सीमा की सुरक्षा के लिए निर्धारित प्रक्रिया का सटीकता से पालन करते हैं, ऐसा विदेश मंत्रालय ने कहा है। साथ ही, इस मामले में चीन के साथ चर्चा शुरू है, ऐसा बताकर विदेश मंत्रालय ने ऐसे संकेत दिये हैं कि भारत अपनी सार्वभूमता के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा।

इससे पहले लद्दाख में भारत और चीन के बीच बने तनाव पर अमरीका से प्रतिक्रिया आयी। अमरीका के विदेश विभाग के मध्य और दक्षिण एशिया के लिए होनेवालीं उपमंत्री एलिस वेल्स ने, इस तनाव के लिए चीन की आक्रमकता और उक़साऊ नीति ज़िम्मेदार है, ऐसा कहा था। चाहे भारत के साथ का सीमा वाद हों या साऊथ चायना सी का मामला हों, आक्रमक और उक़साऊ कारनामें करते रहना, यही चीन की कार्यपद्धति रही है। पूरे ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र पर चीन अपना हक़ जताता है। यह सागरी क्षेत्र खनिज भंडार से संपन्न होकर दुनिया की अधिकांश व्यापारी यातायात इस क्षेत्र से होती है। इसी कारण, चीन की इस क्षेत्र में जो मग़रूरी जारी है, उसके विरोध में समविचारी देश एकसाथ आ रहे हैं, ऐसा सूचक विधान वेल्स ने किया है।

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद निर्माण हुई, दुनिया की नयी आर्थिक पुनर्रचना में, चीन के ख़िलाफ़ समविचारी देशों का एकसाथ आना, यह बात ग़ौरतलब है, ऐसा कहकर वरिष्ठ राजनयिक वेल्स ने यही अप्रत्यक्ष संदेश दिया है कि चीन दूसरे विश्वयुद्ध की नाझी जर्मनी की भूमिका अदा कर रहा है।

साथ ही, वेल्स ने अमरीका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच के क्वाड सहयोग का इस समय विशेष उल्लेख किया। उसी प्रकार, चीन के सभी देशों के साथ जारी सीमावाद, चीन से होनेवाला ख़तरा अधोरेखांकित कर रहा है, ऐसा कहकर वेल्स ने, चीन दुनिया के लिए ख़तरनाक होने के संकेत दिये हैं।

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