चेन्नई भाग-३

Pg12_Chennai‘चेन्नापटणम्’ नामक गाव पर शासन करनेवाले नायक से जब अंग्रे़जों को उस गाव की जमीन का छोटासा हिस्सा प्राप्त हुआ, तब सबसे पहले उन्होंने उनके निवास के लिए उस जमीन पर क़िले का निर्माण करना शुरू किया। यह क़िला ‘सेंट जॉर्ज फोर्ट’ इस नाम से जाना जाता है।

२३ अप्रैल को इस क़िले का निर्माणकार्य पूरा हुआ। इंग्लंड में सेंट जॉर्ज के सम्मान में यह दिन मनाया जाता थाऔर चूँकि ठीक इसी दिन चेन्नापटणम् या मद्रासपटणम् में स्थित इस क़िले का निर्माणकार्य पूरा हुआ, इस क़िले को अंग्रे़जों ने सेंट जॉर्ज का नाम दिया। इस क़िले का निर्माण समुद्राभिमुख (क़िले का दरवा़जा समुद्र की ओर) इस प्रकार किया गया था। जब चेन्नई शहर बस रहा था, तब इस क़िले को केन्द्रस्थान में रखकर उसीके इर्द-गिर्द धीरे-धीरे लोग आकर बसने लगे। अंग्रे़जों को इस क़िले के निर्माण से कईं फायदे हुएँ। इस क़िले के कारण उनका व्यापार समृद्ध हुआ, यह उनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण फायदा  था। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि सेंट जॉर्ज क़िले के कारण उन्हें कर्नाटक प्रान्त पर अपना अधिकार जमाये रखने में मदद मिली और साथ ही पुद्दुचेरी (पाँडेचरी) में होनेवाले फ्रांसीसियों की गतिविधियों पर ऩजर रखना उनके लिए आसान हो गया। लेकिन जैसे पिछले भाग में वर्णन किया था, उसके अनुसार इसवी १७४६-१७४९ के दौरान यह क़िला फ्रांसीसियों के हाथों में चला गया, लेकिन एक सुलह के कारण वह अंग्रे़जो को फिर  से प्राप्त हुआ।

म़जबूत दीवारोंवाले इस क़िले में एक बहुत ही पुराना चर्च है। इसवी १६७८-१६८० इस दौरान निर्मित यह चर्च ‘सेंट मेरी चर्च’ इस नाम से जाना जाता है। इस चर्च में उस समय कईं अंग्रे़ज अफसरों की शादियाँ भी हुईं और कइयों का दफ़न भी। इसी क़िले में एक म्युझियम भी है। उसका निर्माण इसवी १७९५ में किया गया। इस म्युझियम में अंग्रे़जों के जमाने की कईं वस्तुओं का संग्रह किया गया है। इसमें विभिन्न प्रकार के शस्त्र, सिक्के, मेडल्स, युनिफॉर्मस  आदि का समावेश है। क्लाइव्ह तथा कॉर्नवालिस नामक अंग्रे़ज अफसरों की लिखावट के मूल पत्र यहाँ पर जतन किये गए हैं। इसके अलावा क़िले के हॉल में कईं अंग्रे़ज गवर्नरों की तस्वीरें लगाई गयी हैं और म्युझियम में विभिन्न तोपों का जतन किया गया है। आज इस क़िले में तमिलनाडू राज्य के क़ायदेकौन्सील का प्रशासकीय मुख्यालय है।

अंग्रे़जों ने जिस तरह यहाँ पर क़िला बनवाया, उसी तरह यहाँ के बन्दरगाह को भी अच्छी तरह विकसित किया, क्योंकि यहाँ पर व्यापार करने के लिए उन्हें इस बन्दरगाह की स़ख्त जरूरत थी। यही कारण है कि यह क़िला और यह बन्दरगाह, इनके कारण ही १८ वी सदी में चेन्नई यह भारत और युरोप के बीच के व्यापार का एक मुख्य केन्द्र बन गया और उसी दौरान चेन्नई में अनगिनत कंपनियों का निर्माण शुरू हुआ। थॉमस पॅरी नामक मनुष्य ने इसवी १७८८ में यहाँ पर एक व्यापारी कंपनी शुरू की। इसवी १७९७ में यहाँ पर आये जॉन बिन्नी नामक व्यक्ति ने बिन्नी अँड कंपनी इस नाम से कपड़ों का कारख़ाना शुरू किया। इसवी १८६४ में स्पेन्सर्स ने चेन्नई में एक छोटासा कारोबार शुरू किया और अल्प-अवधि में ही वह उस जमाने का एशिया का सबसे बड़ा डिपार्टमेंटल स्टोअर बन गया। इन सारी कंपनियों के अलावा कुछ और नामांकित कंपनियों ने भी मद्रास में अपना व्यापार शुरू किया। लेकिन इसवी १९०६ में उत्पन्न हुए आर्थिक संकट के कारण इनमें से अनेक कंपनियों के अस्तित्व को ही ठेंस पहुँच गई। लेकिन उसमें से भी बिन्नी अँड कंपनी तथा पेरी अँड कंपनी ये दोनों ही बच गईं।

चेन्नई शहर जिस किनारपट्टी पर बसा हुआ है, वह कोरामंडल कोस्ट (किनारा) के नाम से मशहूर है।

साधारणतः १२५-१५० साल पहले चेन्नई के बन्दरगाह का निर्माण हुआ। आज चेन्नई बन्दरगाह में से सामान की यातायात होती है, लेकिन पहले यह बन्दरगाह मुसाफिरों की यातायात करनेवाला एक प्रमुख बन्दरगाह था। इसवी १८६१ में इस बन्दरगाह का प्राथमिक निर्माण हुआ। लेकिन इसवी १८६८ तथा १८७२ में आये तुफानो  के कारण इसका काम ठप्प हो गया। आगे चलकर इसवी १८७६ में अच्छी तरह से इस बन्दरगाह का निर्माण किया गया, लेकिन इसवी १८८१ में आये हुए तूफान  ने पूरे बन्दरगाह को ध्वस्त कर दिया। फिर  इसवी १८८१ में चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट ने इस बन्दरगाह का पुनः निर्माण किया और आज इस बन्दरगाह ने अपने १२५ साल पूरे किये हैं। मद्रास शहर की बरक़त का तथा विकास का अधिकांश श्रेय इस बन्दरगाह को ही जाता है।

चेन्नई बन्दरगाह से कच्चा लोहा, कोयला, ग्रॅनाईट, खाद, पेट्रोलियमजन्य पदार्थ, वाहन तथा अन्य कईं तरह के सामान की यातायात की जाती है।

इस चेन्नई बन्दरगाह की उत्तरी दिशा में २४ कि.मी. पर एक और बन्दरगाह है, जिसका नाम है ‘इन्नोर पोर्ट (बंदर)’.

आज उपलब्ध आधुनिक तंत्रज्ञान का उपयोग कर इस बन्दरगाह को अत्यधिक आधुनिक रूप दिया गया है। इस बन्दरगाह से विभिन्न प्रकार के सामान की यातायात की जाती है।

कोरामंडल के किनारे पर बसे हुए इस चेन्नई शहर को बहुत बड़ा सागरी किनारा तो है ही, साथ ही इस शहर में दो नदियाँ भी हैं। ‘कूउम’ नामक नदी के कारण चेन्नई शहर दो भागों में विभाजित हुआ है, वहीं चेन्नई का अड्यार नामक उपनगर ‘अड्यार’ नदी के किनारे पर बसा हुआ है। बदलते वक़्त के साथ प्रदूषण तथा अन्य कारणों से इन दोनों नदियों का स्वरूप पूर्णतः बदल चुका है।

सेंट जॉर्ज क़िले के निर्माण के कारण उसके इर्द-गिर्द जो मनुष्यों की बसति हुई, वह प्रदेश आज ‘जॉर्ज टाऊन’ नाम से जाना जाता है। इस जॉर्ज टाऊन में अंग्रे़जों के जमाने की कईं प्रमुख व्यापारी संस्थाएँ और १८वी तथा १९ वी सदी की स्थापत्यशैली का उत्तम नमूना रह चुकी कईं इमारते हैं।

चेन्नई पर काफी  समय तक अंग्रे़जों का राज होने के कारण आज भी यहाँ ब्रिटिश शैली में निर्मित कईं इमारतें है, जो कि सुस्थिति में हैं। उनमें से कईं इमारते आज प्रशासकीय कार्यालयों के रूप में इस्तेमाल में लायी जाती हैं।

चेन्नई महानगरपालिका भारत की सबसे पुरानी महानगरपालिका के रूप में जानी जाती है, क्योंकि अंग्रे़जों ने जब चेन्नई-मद्रास को मद्रास प्रेसिडन्सी की राजधानी बनाया, उसी समय उन्होंने इसका कारोबार चलाने के लिए महानगरपालिका तथा मेयर इनकी स्थापना की गई।

चेन्नई महानगरपालिका जिस वास्तु में स्थित है, उसे ‘रीपन बिल्डींग’ नाम से जाना जाता है। इसवी १९१३ में इस वास्तु का निर्माण आरंभ हुआ और उसे पूरा होने में तकरीबन चार साल लगे। लॉर्ड रीपन नामक ब्रिटिश गवर्नर जनरल के नाम से इस वास्तु को ‘रीपन’ यह नाम दिया गया। चेन्नई महानगरपालिका कईं इमारतें बदलकर अन्ततः इस वास्तु में स्थित हो गई। पूरी तरह सफ़ेद रंग की यह इमारत स्थापत्यकला का एक सुन्दर नमूना है। इसकी निर्मिति में तीन प्रकार की स्थापत्यशैलियों का उपयोग किया गया है।

इससे पहले स्पेन्सर्स नामक डिपार्टमेंटल स्टोअर का निर्देश लेख में किया हुआ है। यह आज दक्षिणी भारत के सबसे बड़े शॉपिंग मॉल के रूप में जाना जाता है। लेकिन पुराना स्पेन्सर्स डिपार्टमेंटल स्टोअर स्थापत्यकला का उत्तम नमूना होनेवाली जिस इमारत में स्थित था, वह इमारत इसवी १९८३ में आग में नष्ट हो गई। उसी स्थान पर आज का यह शानदार शॉपिंग मॉल बनाया गया है।

चेन्नई शहर को तकरीबन १२ कि.मी. लम्बा समुद्री किनारा प्राप्त हुआ है, जो मरीना बीच नाम से जाना जाता है। चेन्नई के इसी किनारे पर २६ दिसम्बर २००४ को त्सुनामी लहरों का महाभयानक ताण्डव हुआ था और उसके कारण इस किनारे का नक़्शा ही बदल गया।

जिस समुद्र का इस शहर के बरक़त में योगदान रहा, उसी समुद्र में उठी भयानक त्सुनामी की आपत्ति ने इस शहर का भारी नुकसान किया।

अंग्रे़जों के आने से विकास की राह पर चल पड़ा यह शहर आज भी अपना विकास कर ही रहा है और इसी कारण आज के आधुनिक युग की ते़ज ऱफ़्तार के साथ चल ही रहा है।

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