‘अफगानिस्तान में हुए हमले में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल’ : भारत के रक्षामंत्री और सेनाप्रमुख का दावा

नयी दिल्ली, दि. २: पाकिस्तान से सटी अफगानिस्तान की सीमा पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया है, ऐसी आशंका रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर और सेनाप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने जताई है| इस इलाके में हुए हमले में घायल हुए लोगों की तस्वीरें और विडियो जारी हुए हैं| इन तस्वीरों और विडियोज़् से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है, ऐसा रक्षामंत्री ने कहा| इस पृष्ठभूमि पर, परमाणु, रासायनिक और जैविक हमले का खतरा बढ़ा है, ऐसी चेतावनी रक्षामंत्री ने दी है| साथ ही, भारतीय सेना ने इस खतरे का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहीए, ऐसा आवाहन भी रक्षामंत्री ने किया| रक्षामंत्री ने हालाँकि स्पष्ट रूप से किसी का ज़िक्र नहीं किया है, लेकिन इस रासायनिक हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है, ऐसे संकेत रक्षामंत्री द्वारा दिए जा रहे हैं|

अफगानिस्तान की सीमा

भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक कार्यक्रम में उपस्थितों को संबोधित करते समय रक्षामंत्री और सेनाप्रमुख इन दोनों ने भी रासायनिक और जैविक हमले के सिलसिले में चिंता जताई है| ‘अफगानिस्तान के वझिरिस्तान प्रांत में हुए हमले के बाद कुछ विडिओज़् और तस्वीरें सामने आयी हैं| इस हमले में घायल हुए स्थानीय लोगों के शरीर पर हुए घावों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है| इस संदर्भ में फिलहाल ठोस रूप में कुछ भी कहा नहीं जा सकता| लेकिन ये तस्वीरे विचलित करनेवाली हैं| रासायनिक हमले की आशंका इस वजह से अधोरेखित होती है’ ऐसा रक्षामंत्री ने कहा|

भारत को फिलहाल रासायनिक और जैविक हमले का ख़तरा नहीं है| लेकिन भविष्य में किसी भी प्रकार के युद्ध के लिए भारत ने तैयार रहना चाहिए, ऐसा आवाहन रक्षामंत्री ने किया|

इसी कार्यक्रम में सेनाप्रमुख जनरल रावत ने भी, अफगानिस्तान में रासायनिक हमले की आशंका जताई है| रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल पर संयुक्त राष्ट्रसंघ ने पाबंदी लगाई है| इसके बावजूद भी यदि रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है, तो यह ख़तरे के घंटी है, ऐसा जनरल रावत ने कहा|

‘डीआरडीओ’ ने विकसित किए रक्षासाहित्य और उत्पादन इस कार्यक्रम में सेना को सौंपे गये| इनमें ‘वेपन लोकेटिंग रडार’ शामिल है| इसके माध्यम से, छिपाकर रखे गए हथियारों को ढूँढ़ा जा सकता है तथा उन्हें नष्ट किया जा सकता है| साथ ही, परमाणु, रासायनिक और जैविक हथियारों की जानकारी प्राप्त करने के लिए डीआरडीओ ने ‘न्यूक्लिअर, बायोलॉजिकल ऍण्ड केमिकल रीकानसन्स व्हेईकल’ (एनबीसीआरव्ही) विकसित किया है| यह विशेष वाहन भी भारतीय सेना को सौंपा गया| इसके अलावा रासायनिक और जैविक हमले के प्रभाव से बचने के लिए डीआरडीओ ने तैयार किए विशेष दवाइयों के किट भी इस समय सेना को दिये गए|

इसी दौरान, पूरी दुनिया में रासायनिक और जैविक हथियारों के इस्तेमाल के बारे में चिंता जताई जा रही है| खास तौर पर, ‘आयएस’ इस खतरनाक आतंकी संगठन के पास रासायनिक और जैविक हथियार हैं, ऐसे दावें किए जा रहे हैं| यह आतंकी संगठन अफगानिस्तान समेत पाकिस्तान में भी सक्रिय है, ऐसा स्पष्ट हुआ है| इस वजह से, रक्षामंत्री और सेनाप्रमुख ने रासायनिक और जैविक हमले के सिलसिले में दी चेतावनी, यह गंभीर बात है, ऐसा सामने आ रहा है|

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