टेलिकॉम क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार ने दी ‘नैशनल सिक्युरिटी डायरेक्टिव’ को मंजूरी – चीन को झटका लगने की संभावना

नई दिल्ली – केंद्र सरकार ने बुधवार के दिन दूरसंचार क्षेत्र के लिए ‘नैशनल सिक्युरिटी डायरेक्टिव’ को मंजूरी दी है। इसके तहत सरकार दूरसंचार उपकरणों की सुरक्षितता और भरोसेमंद प्रदायक एवं बिक्रेताओं की सूचि तैयार की जाएगी। साथ ही दूरसंचार उपकरणों के क्षेत्र की कुछ कंपनियों को ‘ब्लैक लिस्ट’ किया जाएगा। केंद्रीय सूचना एवं प्रसरणमंत्री रवीशंकर प्रसाद ने इस निर्णय का ऐलान किया। सरकार का यह निर्णय चीनी कंपनियों को झटका देनेवाला साबित हो सकता है, यह दावा किया जा रहा है।

india-telecomकेंद्र सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र की सुरक्षा को प्राथमिकता देकर भरोसेमंद प्रदायकों की सूचि तैयार करने का निर्णय करने की जानकारी प्रदान की। इसके लिए ‘नैशनल सिक्युरिटी डायरेक्टिव’ यानी राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशों को मंजूरी दी गई है। इसके अनुसार दूरसंचार सेवा क्षेत्र की कंपनियों के लिए उपकरणों खरीदने के लिए एक सप्लाई चेन तैयार की जाएगी। साथ ही इसके लिए दूरसंचार उपकरणों के सुरक्षित प्रयादक और बिक्रेतों की सूचि तैयार की जाएगी। इसके अलावा कुछ कंपनियों को ‘ब्लैक लिस्ट’ किया जाएगा। इसकी सूचि तैयार होने के बाद देश में दूरसंचार सेवा प्रदान करनेवाली कंपनियों को सुरक्षित प्रयादक एवं बिक्रेताओं के साथ स्वयं को जोड़ना होगा, ऐसा प्रसाद ने कहा।

इसकी सूचि तैयार करने के लिए एक समिती गठित की जाएगी। इस समिती में दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित विभाग के सदस्य, मंत्रालय के प्रतिनिधि, उद्यमियों के दो प्रतिनिधि और विशेषज्ञ विश्‍लेषकों का समावेश होगा, यह जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने प्रदान की। क्या राष्ट्रीय सुरक्षा निदेश तैयार करने के पीछे चीनी कंपनियों को लक्ष्य करने का उद्देश्‍य है? इस सवाल पर रवीशंकर प्रसाद ने कोई खुलासा नहीं किया। इससे संबंधित अधिक ब्यौरा घोषित करने से वे दूर रहे।

लेकिन, चीनी कंपनियों को सामने रखकर ही यह निर्णय किया गया है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। दूरसंचार उपकरणों का निर्माण करनेवाली हुवेई, ज़ेडटीई जैसी चीनी कंपनियों पर विश्‍वभर में पहले से ही जासूसी करने के आरोप लगाए गए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कुछ देशों ने इन कंपनियों पर अपने देश में पाबंदी भी लगाई है। जून में भारत सरकार ने गलवान घाटी में चीन द्वारा विश्‍वासघात करने के बाद दूरसंचार क्षेत्र की सरकारी कंपनियों के कान्ट्रैक्ट चीनी कंपनियों का प्राप्त ना हों, इस उद्देश्‍य से निविदा जारी करने के नियमों में बदलाव किए।

भारत विश्‍व में दूसरे क्रमांक का दूरसंचार बाज़ार है। देश में दूरध्वनी धारकों की संख्या ११७ करोड़ है। साथ ही इस क्षेत्र से प्राप्त होनेवाला महसूल ढ़ाई लाख करोड़ से अधिक है तथा दूरसंचार उपकरण क्षेत्र का बाज़ार २५ अरब डॉलर्स से अधिक हुआ है। लेकिन, दूरसंचार उपकरण क्षेत्र में बड़ी मात्रा में चीनी कंपनियां कार्यरत हैं और चीनी दूरसंचार उपकरणों का भारत में बड़ी मात्रा में आयात होता है। लेकिन, अब चीनी कंपनियों का विस्तार रोकने के लिए भारत सरकार कदम उठा रही है। चीनी कंपनियों की वजह से इस क्षेत्र की भारतीय कंपनियों के हित के लिए खतरा बन रहा है। चीनी कंपनियों के सस्ते उपकरणों के सामने भारतीय कंपनियां टिक भी नहीं सकतीं, ऐसी शिकायतें सरकार को प्राप्त हुई थीं। साथ ही इस क्षेत्र की भारतीय कंपनियों से चर्चा करके सरकार एक नीति तय करने की विचार में होने की खबरें कुछ महीने पहले प्रसिद्ध हुई थीं। इस पृष्ठभूमि पर दूरसंचार क्षेत्र के लिए ‘नैशनल सिक्युरिटी डायरेक्टिव’ को मंत्रिमंडल की प्राप्त हुई मंजूरी ध्यान आकर्षित करती है।

गलवान के संघर्ष के बाद चीन को आर्थिक स्तर पर भारत एक के बाद एक नए झटके दे रहा है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा करार देकर और डाटा चोरी का आरोप लगाकर भारत सरकार ने पहले ही २६७ चीनी ऐप्स पर पाबंदी लगाई है।

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