सीडीएस जनरल रावत ने दिए ‘एअर डिफेन्स कमांड’ का प्लैन तैयार करने के आदेश

नई दिल्ली – देश की हवाई सुरक्षा अधिक मजबूत करने के लिए सीडीएसजनरल बिपीन रावत ने एअर डिफेन्स कमांडका निर्माण करने के लिए प्लैन तय करने के आदेश जारी किए है| ३० जून तक यह प्लैन तैयार करने की सूचना जनरल रावत ने की है और सीडीएसपद पर नियुक्त होने के बाद उन्होंने जारी किए पहले आदेश में इसका समावेश होता है| इसके साथ ही तीनों रक्षादलों के लिए कॉमन लॉजिस्टिक सपोर्ट पूल्सयानी जरूरी सामान की यातायात करने के लिए संयुक्त ठिकानों का निर्माण करने के आदेश भी जनरल रावत ने दिए है|

वर्ष १९९९ के कारगिल युद्ध के बाद तीनों रक्षादलों में समन्वय एवं सहयोग स्थापित करने की जरूरत पहली बार सामने आयी थी| इसके लिए सीडीएसपद जरूरी होने की बात भी सामने आयी थी| इसी पृष्ठभूमि पर सीडीएस पद का निर्माण करके तीनों रक्षादलों की क्षमता और उर्जा का अधिक प्रभावी प्रयोग करने के लिए सीडीएसपद का निर्माण किया गया है| जनरल रावत देश के पहले सीडीएस बने है और उन्होंने रक्षा दलों का समन्वय एवं सहयोग को अपनी सबसे अधिक प्राथमिकता रहेगी, यह भी घोषित किया है

पद की जिम्मेदारी स्वीकारने के बाद जनरल रावत ने रक्षादलों के अहम अफसरों की बैठक बुलाई| इस दौरान एअर डिफेन्स कमांडके लिए ३० जून तक प्लैन तैयार करने के आदेश जनरल रावत ने जारी करने की खबर है| भारतीय वायुसेना के सामर्थ्य का अधिक प्रभावी इस्तेमाल करके देश की हवाई सुरक्षा अधिक मजबूत करने के लिए यह निर्णय होने की बात सामने आ रहीहै| भारत ने फ्रान्स से लडाकू रफायलविमानों की खरीद की है और यह विमान वायुसेना के बेडे में दाखिल हो रहे है| उसी समय हवाई सुरक्षा और मजबूत करने के लिए भारत ने रशिया से एस४००यंत्रणा खरीद करने के लिए व्यवहार भी किया है|

ऐसी स्थिति में वायुसेना और सेना की क्षमता का संयुक्त इस्तेमाल करके हवाई सुरक्षा मजबूत करने के लिए एअर डिफेन्स कमांडका गठन हो रहा है, यह जानकारी विश्‍लेषक रख रहे है| शत्रु ने छोडे मिसाइल एवं शत्रु के लडाकू विमानों के हमले की पहले ही सूचना करेवाली यंत्रणा का भी एअर डिफेन्स कमांडमें समावेश किया जाएगा| इस वजह से वायुसेना के साथ ही सेना भी बडी तेजी से हरकत करके शत्रु के हमले को जवाब देने के लिए आवश्यक कदम उठा सकेगी|

इस तरह से तीनों रक्षादलों के सामर्थ्य का सटिकता से इस्तेमाल करने के लिए अगले दिनों में कॉमन लॉजिस्टिक सपोर्ट पुल्सका निर्माण भी होगा| इस से रक्षा सामान, हथियार और सैनिकों की गतिविधियों के लिए आवश्यक अतिरिक्त समय और खर्च बडी मात्रा में कम करना संभव हो सकेगा|

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