त्वचा – रचना एवं कार्य भाग ७

त्वचा – रचना एवं कार्य भाग ७

आज हम पेन सेन्स (क्लेशकारक स्पर्श) एवं थरमलसेन्स (तापमान संबंधित सेन्स) के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। शरीर की अधिकांश बीमारियों में क्लेश अथवा दुख की संवेदनाएं होती ही है। इन क्लेशकारक संवेदनाओं की जानकारी के आधार पर डॉक्टरों के लिये रोग का निदान करना आसान हो जाता है। क्लेशकारक संवेदनाएं शरीर के संरक्षण का […]

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त्वचा – रचना व कार्य भाग ६

त्वचा – रचना व कार्य भाग ६

अब हम त्वचा के माध्यम से होनेवाले स्पर्शज्ञान के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। ‘स्पर्श’ यह कितना सुंदर शब्द है ना! उसके द्वारा प्यार की अनुभूति भी उतनी ही सुंदर होती है। दो व्यक्तियों के बीच भाव-भावनाओं का, आदान-प्रदान का यह अतिउत्तम साधन है। ऐसा माना जाता है कि सभी प्राणियों में अनुभूति यह एक […]

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त्वचा – रचना एवं कार्य भाग ५

त्वचा – रचना एवं कार्य भाग ५

त्वचा हमारे शरीर का एक अविभाज्य अंग है। शरीर की विभिन्न कोशिकासमूह, अवयव सभी पर एक समान आवरण देनेवाली होती है त्वचा। यह त्वचा हमारे शरीर को एक निश्चित आकार देती है| यह त्वचा हमारे शरीर को एक प्रकार की सुन्दरता प्रदान करती है। यह त्वचा हमें एक व्यक्तित्व प्रदान करती है। हमारी त्वचा ही […]

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त्वचा – रचना एवं कार्य भाग ४

त्वचा – रचना एवं कार्य भाग ४

हम त्वचा के पायलोसिबॉसिस संच के बारे में अध्ययन कर रहे हैं। हमने बालों के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली। अब हम देखने जा रहे हैं- मिलॉसिअस ग्रंथी हाथ और पैरों के तलुओं और तलुओं की तरफ का ऊंगलियों का हिस्सा छोडकर शरीर की संपूर्ण त्वचा में ये ग्रंथियां पायी जाती हैं। इनमें में […]

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त्वचा – रचना व कार्य भाग ३

त्वचा – रचना व कार्य भाग ३

हम हमारी त्वचा के बारे में अध्ययन कर रहे हैं। कल के लेख में अंत में थोडा विषयांतर हो गया। परंतु वह महत्त्वपूर्ण विषयांतर था। आज हम त्वचा के दूसरे स्तर डरमिस के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। साथ ही साथ त्वचा के केश, सिवॉसिअस ग्रंथी पसीने की ग्रंथी इत्यादि की भी जानकारी प्राप्त करेंगे। […]

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त्वचा – रचना एवं कार्य भाग २

त्वचा – रचना एवं कार्य  भाग २

हमने देखा कि त्वचा के प्रमुख तीन स्तर होते हैं। अब हम इनमें से प्रत्येक स्तर की जानकारी लेंगे। १) एपिडरमिस अथवा बाह्यत्वचा : एपिडरमिस विभिन्न पेशी समूहों से मिलकर बनी होती है। इस स्तर की विशेषता यह है कि इनकी पेशियां स्वतः प्रतिदिन बदलती रहती है। अर्थात इसके सबसे बाहरी स्तर की पेशियां रोज […]

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त्वचा – रचना व कार्य

त्वचा – रचना व कार्य

हमारी चारों ज्ञानेंन्द्रियाँ मस्तिष्क के बिलकुल नजदीक हैं। स्पर्श की अनुभूति देनेवाली त्वचा मस्तिष्क के पास भी है (सिर और चेहरे की त्वचा) और दूर भी है (पाँव की त्वचा)। हमारे पूरे शरीर पर इस त्वचा का आवरण है, जैसे मजबूती से सिल दी गई हो, परंतु यह आवरण भी नौ स्थानों पर खुला हुआ […]

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श्रवणइन्द्रियों का कार्य – भाग ३

श्रवणइन्द्रियों का कार्य  – भाग ३

आज हम हमारे अंतःकर्ण के कार्यों का अध्ययन करेंगे। अंतःकर्ण में ही संवेदनशील पेशी व संवेदनशील तंतु होते हैं जो ध्वनिलहरों के कंपनों का रुपांतर संवेदन अथवा अनुभूति में करते हैं। इन संवेदन लहरों का वहन संवेदनशील तंतुओं से होकर मस्तिष्क में होता है। मस्तिष्क में एक अलग श्रवण क्षेत्र (ऑडिटरी एरिया) होता है। वहॉं […]

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श्रवण-इन्द्रिय का कार्य – भाग २

श्रवण-इन्द्रिय का कार्य  – भाग २

श्रवण-इन्द्रिय का कार्य कैसे चलता है, यह आज हम देखेंगे। जो हम सुनते हैं उसे आवाज अथवा ध्वनि कहा जाता है। भौतिकशास्त्र के अनुसार ध्वनि यह स्पंदन अथवा लहरें (साऊंड व्हेव) होती हैं। ये स्पंदन अथवा लहरें हमें आंखों से दिखायी नहीं देती। प्रत्येक लहर की एक विशिष्ट लंबाई होती है एवं तीव्रता होती है। […]

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कान की रचना एवं कार्य

कान की रचना एवं कार्य

हम हमारी आँखों की जादुई दुनिया की सैर कर चुके हैं| अब हम कान के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। जी हॉं आज से हम अपने कानों की अर्थात कर्णेन्द्रियों की जानकारी लेंगे। कान, पॉंच ज्ञानेंद्रियों में से एक है और महत्त्वपूर्ण है। अपनी पांचों ज्ञानेन्द्रियां जीवनभर हमें खूब अनुभव देती हैं। काफी ज्ञान प्रदान […]

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