श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३६)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३६)

एक दिन सुबह के समय मुखप्रक्षालन एवं दंतधावन करने के बाद साईनाथ गेहूँ महीन पीसने बैठ गए । हाथ में एक सूप लेकर बाबा गेहूँ की बोरी पास पहुँच गये और आधे सेर के नापक (अनाज को नापने का साधन) से गेहूँ निकाल कर सूप में भर लिये । दूसरी खाली गोनी सामने फैलाकर उसपर […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३५)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३५)

श्रीसाईनाथजी के आचरण का अध्ययन करके उससे सीख लेते हुए अब तक हमने तीन मुद्दों पर विचार किया । १)    समय का अचूक नियोजन (टाईम मॅनेजमेंट) करना । २)    कार्य के साथ-साथ, स्वयं के जीवन के लिए ज़रूरी रहनेवालीं बातों का भी ध्यान रखना। ३)    कार्य शुरू करने से पहले, कार्य करते समय एवं कार्य […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३४)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३४)

बाबा के आचरण का अभ्यास करके हमें उचित आचरण करने का मार्गदर्शन प्राप्त होता है । स्वयं सर्वसमर्थ होते हुए भी मानवरूप धारण करके अवतरित होनेवाले साई हम मानवों को उचित आचरण की दिशा प्रदान कर रहे हैं । ‘मनुष्य को कैसा आचरण करना चाहिए?’ इस बारे में बडे बडे उपदेश न करके स्वयं के […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३३)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३३)

किसी सुबह एक दिन । बाबा ने किया दंतधावन । करके मुखप्रक्षालन । करने लगे गेहूँ की महीन पीसाई ॥ स्वयं के आचरण से साईनाथ हमें उचित आचरण का मार्गदर्शन किस प्रकार कर रहे हैं, इस बात का अध्ययन हम कर रहे हैं । गेहूँ पीसने की क्रिया का आरंभ करने से पहले बाबा ने […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३२)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३२)

हमें रात्रि के समय सोने से पहले आने वाले कल के सभी कामों की योजना, समय का नियोजन कर लेना सीखना चाहिए । ‘ऐन वक्त पर काम करते समय यदि ऐसा कुछ हुआ तो क्या करना पडे़गा, उसके लिए कितना समय देना पडे़गा’ इस बात का भी नियोजन कर लेना चाहिए, सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण बात […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३१ )

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३१ )

‘मैंने कितने ग्रंथ पढ़े, कितने पारायण किये, कितने बड़े बड़े शब्दों के आडंबर किये, कितने ताल-मंजिरे बजाये’, इन सब बातों की अपेक्षा सद्गुरु साईनाथजी के द्वारा कही गई कितनी बातें मेरे आचरण में मैंने उतारी यह बात अधिक महत्त्वपूर्ण है । बाबा जो कहते हैं उसके अनुसार मेरा ‘आचरण’ है या नहीं, बाबा को मुझसे […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३० )

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ३० )

साईनाथ के कार्य में सहभागी होने से पहले, सहभागी होते समय एवं कार्य पूर्ण होने पर हमें इस बात का ध्यान सदैव होना चाहिए कि साईनाथ को मेरी ज़रूरत नहीं है, बल्कि मुझे ही साई की ज़रूरत है | साई का किसी के बिना कुछ भी काम रुकता नहीं है, परंतु साई के बिना मेरा […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग २९ )

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग २९ )

मोहरूपी रोग और अहंकाररूपी रोगजन्तुओं से उत्पन्न होनेवाली यह महामारी आखिर करती क्या है? यह महामारी संपूर्ण मानवजाति को अंधकार की राह पर से अभाव की ओर ले जाती है । मोह और अंधकार के कारण उस व्यक्ति के जीवन से परमात्मा पूर्ण रूप में विमुख हो चुके होते हैं। अत एव उस व्यक्ति के […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग २८ )

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग २८ )

अकारण करुणा के निधि रहनेवाले साईनाथ अपने बच्चों के जीवन में अंधकार न आने पाये इसके लिए हर पल सुसज्ज एवं सतर्क रहते हैं । श्रीसाईसच्चरित का आरंभ ही हेमाडपंत श्रीसाईबाबा के गेहूँ पीसनेवाली कथा से करते हैं । वास्तव में देखा जाये तो हेमाडपंत श्रीसाईसच्चरित का आरंभ अन्य किसी भी कथा के द्वारा कर […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग २७ )

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग २७  )

श्रीसाईसच्चरित के इस प्रथम अध्याय में क्या कुछ नहीं है? सब कुछ है । मर्यादाशील भक्ति करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक बातें हैं, वे सभी इस प्रथम अध्याय में साईबाबा ने हमें बता दी हैं । श्रीसाईसच्चरित का ‘श्रीगणेश’ जहाँ पर हुआ है, वह यह प्रथम अध्याय महागणपति-स्वरूप ही है और सभी विद्याओं […]

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