श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५६)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५६)

हमने प्रथम अध्याय की कथा के द्वारा सद्गुरु दत्तात्रेय का ‘श्‍वान’ बनने के लिए मुझे क्या करना चाहिए, इसके बारे में अध्ययन किया। उन चार स्त्रियों का बाबा के पास द्वारकामाई में दौड़ते-भागते जाना अर्थात मेरे मन की उन चारों वृत्तियों का अन्तर्मन-स्थित सगुण सद्गुरुतत्त्व की दिशा में प्रवास करना यह मन का अन्तर्मुख होना […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५५)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५५)

गाँव में थी महामारी फैली । करते यह उपाय साई। दूर हुई बीमारी। गाँववाले हुए सुखी॥ इस कथा में हम पढते हैं कि साईनाथ ने ग्रामवासियों को सुख-शांति कैसे प्रदान की। लौकिक स्तर पर शिरडी गाँव में जिस तरह यह कथा घटित होती है, उसी तरह मानसिक स्तर पर भी हमारे मन में यह कथा […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५४)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५४)

अद्भुतरस के बारे में हम अध्ययन कर रहे हैं। गेहूँ पीसने वाली इस कथा के माध्यम से श्रद्धावान इस अद्भुत रस का स्वाद कैसे ले सकते हैं। हमने यह भी देखा कि जो श्रद्धावान है, वही इसके स्वाद का आनंद ले सकता है, इस अद्भुत रस ने हेमाडपंत के जीवन को किस तरह रसमय बना […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५३)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५३)

अब तक हमने देखा कि साईनाथजी ने गेहूँ पीसने वाली लीला के द्वारा हेमाडपंत को उनकी भूमिका का एहसास करवाया और साथ ही उन्हें पूरे विश्‍वास के साथ आगे बढ़ाने के लिए सामर्थ्य भी प्रदान किया। हेमाडपंत इससे पहले से ही बाबा के पास जा रहे थे, परन्तु इस गेहूँ पीसने की प्रक्रिया से साईबाबा […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५२)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५२)

श्रीसाईसच्चरित के प्रथम अध्याय की गेहूँ पीसनेवाली कथा के अध्ययन के द्वारा हमने देखा कि हेमाडपंत के जीवन में कितने सुंदर रूप में बाबा ने प्रेमचक्र गतिमान किया और उन्हें उनकी ‘भूमिका’ का अहसास होते ही उन्होंने अपने इस जन्म की ‘इतिकर्तव्यता’ को साध्य करने के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कदम उठाए। बाबा को हेमाडपंत के […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५१)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५१)

हम पहले ही यह देख चुके हैं कि हेमाडपंत ने बाबा से ‘क्यों’ यह प्रश्‍न नहीं पूछा। परन्तु सामान्य मनुष्य के मन में ‘क्यों’ यह सवाल बार बार उठ सकता है। आगे चलकर इस ‘क्यों’ के क्या परिणाम होते हैं, इस बात पर हम विचार करेंगे। अनेक बार परमात्मा की लीला का अनुभव कर लेने […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५०)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ५०)

श्रीसाईसच्चरित के प्रथम अध्याय का नाम है- ‘मंगलाचरण’। इस में से मुख्य एवं मध्यवर्ती कथानक है- बाबा के द्वारा गेहूँ पीसा जाना और यह केवल कथानक नहीं है, सामान्य कथा नहीं है, बल्कि वह है एक घटित होनेवाली अद्भुत घटना। ऐसी घटना जिस घटना से हेमाडपंत का संपूर्ण जीवन ही बदल गया। पीसनेवाले जाँते की […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ४९)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ४९)

हमने भक्तों की भूमिका के बारे में अध्ययन किया। सद्गुरु साईनाथ की लीला को प्रतिक्रिया (रीअ‍ॅक्ट) न देते हुए, उन्हें प्रतिसाद (रिस्पाँझ) देनेवाले भक्तों की भूमिका हमने देखी। गेहूँ पीसनेवाली कथा का अध्ययन करने के पश्‍चात्, ‘एक भक्त के रूप में मैं साईनाथ को प्रतिसाद कैसे दे सकता हूँ’, इस संदर्भ में तीन स्थानों पर […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ४८)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ४८)

श्रीसाईसच्चरित यह साईबाबा का चरित्र तो है ही, साथ ही यह उनके भक्तों का भी चरित्र है। श्रीसाईनाथ ने हर एक भक्त का जीवन-विकास कैसे करवाया, इस बात का विवेचन यह करता है। मेरे साईनाथ तो हर किसी का समग्र जीवनविकास करने में समर्थ तो हैं ही पर इसके लिए भक्तों की ‘तैयारी’ होनी चाहिए। […]

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श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ४७)

श्रीसाईसच्चरित अध्याय १ (भाग ४७)

श्रीसाईसच्चरित के इस पहले अध्याय का नाम है- ‘मंगलाचरण’। इसी मंगलाचरण के द्वारा ये साई हर एक जीवात्मा के जीवन में प्रवेश करते हैं। अब ‘साई प्रवेश करते हैं’ इस वाक्य का निश्‍चित अर्थ क्या है? अकसर हम शिरडी एवं शिरडी के साईनाथ के बारे में सुनते हैं, कई बार इस बारे में पढ़ते रहते […]

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