क्रान्तिगाथा-८५

क्रान्तिगाथा-८५

रेल, तार, डाक जैसी अनेक सुविधाएँ भारत में उपलब्ध हो गयीं। लेकिन उनके शुरू होने की वजह बन गये थे अँग्रेज़। जब भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में ‘स्वदेशी’ का आन्दोलन ज़ोर शोर पर था; तब भारत में अनेक स्थित्यन्तरण हुए थे। स्वदेशी का पुरस्कार करते हुए अनेक भारतीयोंने अपने भारतवासी भाईयों के लिए कुछ सुविधाओं की […]

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परमहंस-१३८

परमहंस-१३८

काशीपुरस्थित घर में स्थलांतरित होने के बाद भी रामकृष्णजी की बीमारी बढ़ती ही चली गयी। अब उनका शरीर यानी महज़ अस्थिपंजर शेष बचा था। लेकिन उनकी मानसिक स्थिति तो अधिक से अधिक आनंदित होती चली जा रही थी, मानो जैसे बुझने से पहले दीये की ज्योति बड़ी हो जाती है, वैसा ही कुछ हुआ था। […]

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समय की करवट (भाग ८३) – अरब-इस्रायल विवाद

समय की करवट (भाग ८३) – अरब-इस्रायल विवाद

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे […]

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नेताजी-१९४

नेताजी-१९४

जापानी प्रधानमन्त्री हिडेकी टोजो की अपॉइन्टमेन्ट मिलने तक हाथ पर हाथ धरे न बैठे रहते हुए सुभाषबाबू ने जापान सरकार के विदेशमन्त्री मामोरू शिगेमित्सु, सेनाप्रमुख जनरल सुगियामा जैसे अतिमहत्त्वपूर्ण अ़फ़सरों के साथ प्राथमिक स्तर की बातचीत शुरू कर दी। इस बातचीत में राशबाबू से मिल हुए परामर्श उनके लिए का़फ़ी फ़ायदेमन्द साबित हुए। सुभाषबाबू कितने […]

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परमहंस-१३७

परमहंस-१३७

इस नये काशीपूरस्थित विशाल फार्महाऊस में अब रामकृष्णजी और उनके शिष्यगण धीरे धीरे नये माहौल से परिचित हो रहे थे। यहाँ पहली मंज़िल पर होनेवाले बड़े हॉल में रामकृष्णजी के निवास का प्रबंध किया गया था और वे वहीं पर, आये हुए भक्तों से मिलते थे। उससे सटे एक छोटे कमरे में, उस उस दिन […]

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क्रान्तिगाथा-८४

क्रान्तिगाथा-८४

भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति तक का जो संघर्षमय काल था, उस काल में भारतीय जनमानस में चेतना को जगाने का काम कई देशभक्तिपर घोषणाओं और गीतों ने किया। ‘वंदे मातरम्’ जैसी देशभक्तिपर घोषणाएँ, ‘जन गण मन’ जैसे देशभक्तिपर गीत हर एक भारतीय को देश के लिए कुछ करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। तमिलनाडु […]

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नेताजी-१९३

नेताजी-१९३

८ फ़रवरी १९४३ को कील बन्दरगाह से जर्मन पनडुबी द्वारा शुरू हुआ सुभाषबाबू का जलप्रवास, २३ अप्रैल को मादागास्कर के नजिक जर्मन पनडुबी में से जापानी पनडुबी में स्थानांतरित होने के बाद कुछ ही दिनों में, यानी ६ मई १९४३ को साबांग बन्दरगाह पर समाप्त हो गया। साबांग बन्दरगाह पर, बर्लिन स्थित जापानी सेना के […]

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परमहंस-१३६

परमहंस-१३६

बीमारी पर ईलाज के चलते रामकृष्णजी का जो वास्तव्य श्यामापुकुर में चल रहा था, उससे शिष्यगणों के दिलों में संमिश्र भावनाएँ उमड़ रही थीं। यहाँ पर, पहले कभी नहीं मिला था इतना रामकृष्णजी का सान्निध्य उन्हें प्राप्त हो रहा था। दर्शन के लिए आये भक्तों को किये जानेवाले मार्गदर्शन के माध्यम से, रामकृष्णजी के उपदेशामृत […]

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समय की करवट (भाग ८२) – किसिंजर का उदय

समय की करवट (भाग ८२) – किसिंजर का उदय

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे […]

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नेताजी-१९२

नेताजी-१९२

जर्मन पनडुबी से स्थानान्तरित हुए सुभाषबाबू को लेकर जापानी पनडुबी की वापसी यात्रा शुरू हो गयी। वह दिन था, २८ अप्रैल १९४३। जर्मन पनडुबी की अपेक्षा यह पनडुबी थोड़ीबहुत ठीक थी, इसमें एकदम हाथ-पैर सिकुड़कर बैठने की नौबत नहीं थी। पनडुबी में पहुँचते ही कप्तान जुईची इझु और जापानी नौसेना के सबमरिन फ्लोटिला कमांडर मेसाओ […]

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