नेताजी-७४

नेताजी-७४

गाँधीजी, सुभाषबाबू तथा अन्य नेताओं के जेल में रहने के बावजूद भी, गाँधीजी के सविनय क़ायदाभंग आन्दोलन के कारण सरकार हैरान हो चुकी थी। साराबन्दी, विदेशी माल पर बहिष्कार इनका जुनून भारत भर में फैल रहा था। ग़िऱफ़्तार किये गये सत्याग्रहियों को रखने के लिए जेलें कम पड़ने लगीं। उसीमें गाँधीजी से प्रेरित होकर ‘सरहद […]

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नेताजी-७३

नेताजी-७३

गाँधीजी की दांडीयात्रा से शुरू हुए सविनय क़ायदाभंग आन्दोलन में गाँधीजी के साथ सभी प्रमुख नेताओं को स्थानबद्ध किये जाने के कारण १९३० का काँग्रेस अधिवेशन नहीं हो सका। १९३० के नवम्बर में इंग्लैंड़ के प्रधानमन्त्री रॅम्से मॅक्डोनाल्ड ने भारत के स्वराज्य के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पहली ‘गोल मे़ज परिषद’ (‘राऊंड टेबल […]

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नेताजी-७२

नेताजी-७२

एक मुठ्ठी नमक उठाकर गाँधीजी द्वारा देश में निर्माण किये गये जादुई माहौल से सुभाषबाबू का़फी प्रभावित हुए थे। वे अन्य कैदियों से गाँधीजी के बारे में कहते थे, आन्दोलन की ख़बरें सुनाते थे। गाँधीजी की दाण्डीयात्रा से शुरू हुए सविनय क़ायदेभंग के आन्दोलन का जुनून सभी दिशाओं में फैल गया। जहाँ देखें, वहाँ पर […]

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नेताजी-७१

नेताजी-७१

काँग्रेस अध्यक्ष की सहायता करनेवाली कार्यकारिणी में समविचारी लोगों का रहना जरूरी है, यह वजह देकर लाहोर काँग्रेस अधिवेशन के बाद सुभाषबाबू को काँग्रेस कार्यकारिणी में समाविष्ट नहीं किया गया। मेरी भूमिका का विपर्यास हो रहा है, यह देखकर सुभाषबाबू को दुख तो जरूर हुआ। लेकिन अब तक के स़फर में उनके सहकर्मी रहनेवाले जवाहरलालजी […]

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नेताजी-७०

नेताजी-७०

व्हाईसरॉय आयर्विन पर हुए हिंसक हमले का निषेध करनेवाले प्रस्ताव के पारित होने के बाद गाँधीजी फिर एक बार भाषण करने खड़े हो गये। अब गाँधीजी क्या कहनेवाले हैं? उपस्थितों की उत्सुकता चरमसीमा पर थी। उसके बाद गाँधीजी ने – ३१ दिसम्बर १९२९ की मध्यरात्रि को – स्वयं ही ‘सम्पूर्ण स्वराज्य’ का प्रस्ताव प्रस्तुत किया…. […]

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नेताजी- ६९

नेताजी- ६९

जतीन दासजी के शहीद होने से सुभाषबाबू के मन पर गहरा ज़ख्म हुआ। लेकिन भला समय किसके लिए रुका है? एक-एक दिन के पदन्यास से आगे बढ़ते हुए १९२९ का काँग्रेस का लाहोर अधिवेशन क़रीब आ रहा था। वैसे तो अधिवेशन था दिसम्बर में, लेकिन सुभाषबाबू का़फ़ी व्यस्त थे। उन्हें एक अलग ही मोरचे पर […]

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नेताजी- ६८

नेताजी- ६८

राजकीय कैदियों को जेल में मूलभूत सुविधाएँ तो दी जानीं चाहिए, इस उद्देश्य से लाहोर षड्यन्त्र के राजकीय कैदियों ने, ख़ास कर जतीन दासजी ने शुरू किये हुए अनशन ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचे रखा था। प्रसारमाध्यम भी सरकार की ही आलोचना कर रहे थे। सभाएँ, निदर्शन आदि के कारण सारा माहौल […]

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नेताजी- ६७

नेताजी- ६७

सन १९२८ का अन्तिम चरण और १९२९ यह पूरा वर्ष मशहूर हुआ, क्रान्तिकारी गतिविधियों के कारण। अप्रैल में दिल्ली की असेंब्ली में बम फ़ेकने के तथा अक्तूबर के साँडर्स वध के मामले में सरदार भगतसिंग, सुखदेव, राजगुरु और बटुकेश्‍वर दत्त इनके साथ ही सोलह क्रान्तिकारियों को गिऱफ़्तार किया गया। भगतसिंगजी ने अपने कार्य को क़बूल […]

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नेताजी-६६

नेताजी-६६

‘नेहरू रिपोर्ट’ की स्वीकृति करने तथा भारत को उपनिवेशीय स्वराज्य देने के बारे में अभिवचन देने के लिए अँग्रे़ज सरकार को ३१ दिसम्बर १९२९ तक की एक साल की मोहलत दी जाती है, यह प्रस्ताव संमत कर कलकत्ता (कोलकाता) अधिवेशन की समाप्ति हुई। गांधीजी ने भी ‘यंग इंडिया’ में से यह घोषित किया कि ‘३१ […]

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नेताजी-६५

नेताजी-६५

कोलकाता काँग्रेस अधिवेशन से पहले हुई विषयनियामक समिति की बैठक में ‘नेहरू रिपोर्ट’ पर भारी-भरकम ‘भवति न भवति’ होकर नाट्यपूर्ण ढंग से ‘नेहरू रिपोर्ट’ को पास किया गया। उसे स्वीकारने के लिए सरकार को एक वर्ष की मोहलत दी जाये, ऐसा प्रस्ताव पारित हो गया। गांधीजीसमर्थकों के मन का तनाव थोड़ासा शिथिल हो गया। यहाँ […]

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