गोवा मुक्तिसंग्राम

गोवा मुक्तिसंग्राम

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग २४ स्वतंत्र हुए भारत के सामने नयीं नयीं चुनौतियाँ खड़ी हो ही रही थीं और संघ अपनी पूरी ताकत लगाकर उनका सामना कर रहा था और समाज की सेवा भी कर रहा था। १५ अगस्त १९५० को आसाम में बहुत बड़ा भूकंप हुआ। इस भूकंप के कारण ब्रह्मपुत्रा नदी […]

Read More »

स्वतंत्रता के बाद…

स्वतंत्रता के बाद…

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग २३ संस्थानों के विलीनीकरण की प्रक्रिया आसान नहीं थी। लेकिन सरदार पटेल के मज़बूत नेतृत्व के कारण यह मुश्किल, पेचींदा प्रक्रिया आसान बन गयी और देश एक हो गया। लेकिन देश के सामने रहनेवालीं समस्याएँ सुलझी नहीं थीं। पाक़िस्तान के निर्माण के बाद भी हम इस देश में वास्तव्य […]

Read More »

नेपाल की व्यथा

नेपाल की व्यथा

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग २२ सन १९६२ के युद्ध में भारत को चीन से परास्त होना पड़ा। ‘इस युद्ध के लिए भारत सिद्ध नहीं था’, ‘चीन ने विश्‍वासघात कर भारत का भूभाग अपने कब्ज़े में कर लिया’ आदि स्पष्टीकरण हम दे सकते हैं; लेकिन भारत की इस पराजय के कितने गहरे परिणाम हुए, […]

Read More »

हैद्राबाद और जुनागढ़

हैद्राबाद और जुनागढ़

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग २१ सन १९४८ में कश्मीर जीत लेना भारतीय सेना के लिए बहुत ही आसान था। भारत के साथ युद्ध छेड़नेवाले पाक़िस्तान की सेना यहाँ से दूम दबाकर भागी थी। आगे जाकर पूरे कश्मीर पर कब्ज़ा करने के लिए भारतीय सेना को कुछ ख़ास करने की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन […]

Read More »

कश्मीर के लिए

कश्मीर के लिए

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग २० सरदार पटेल ने गुरुजी पर जताया विश्‍वास सही साबित हुआ। विलीनीकरण के कागज़ात हाथ आते ही, सरदार पटेल ने भारतीय सेना को कश्मीर में भेजा। उसकी तैयारी सरदार पटेल ने पहले से ही कर रखी थी। उस समय भारत के पास केवल डाकोटा प्रवासी विमान ही थे। इस […]

Read More »

भारत माता की जय

भारत माता की  जय

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग १९ संघ पर प्रतिबंध लगाया जा चुका था। सरसंघचालक श्रीगुरुजी को जेल में रखा गया था। इसके विरोध में स्वयंसेवको ने सत्याग्रह, आंदोलन भी किये। परन्तु किसी के भी द्वारा देशविघातक कृत्य नहीं किये गये। संघ का अनुशासन एवं व्यवस्थापन अभेद्य था। गुरुजी यानी सरसंघचालक के जेल में रहते […]

Read More »

श्रीगुरुजी का आवाहन

श्रीगुरुजी का आवाहन

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ -भाग १८ देश स्वतंत्र हो गया| बँटवारे के बड़े जख्म के बावजूद भी देश की स्वतंत्रता का उत्सव मनाया जा रहा था| परन्तु इसी समय में कुछ लोग निराशा से हिम्मत हारकर बैठे थे| स्वातंत्र्यवीर सावरकर को देश के इस बँटवारे का असह्य दुख हो रहा था| स्वातंत्र्यवीर सावरकर और श्रीगुरुजी […]

Read More »

विक्रमादित्य का सिंहासन

विक्रमादित्य का सिंहासन

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग १७ ३५ वर्ष की उम्र में ही गुरुजी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक पद की ज़िम्मेदारी आ गयी। संघ के कुछ ज्येष्ठ स्वयंसेवकों की तुलना में गुरुजी नये थे। देशभर में फैले स्वयंसेवकों को गुरुजी के बारे में कुछ ख़ास जानकारी नहीं थी। उनकी यात्राएँ भी कुछ ज़्यादा […]

Read More »

ईश्वरीय संकेत

ईश्वरीय संकेत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – भाग १६ सन १९३५  में वक़ालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद, घर में माधवराव के विवाह की चर्चा शुरू हो गयी। माता-पिता अ़क्सर उनके पास इस विषय का ज़िक्र करते थे, लेकिन माधवराव, बिना किसी प्रकार का विरोध किये, शांतिपूर्वक उनकी बातें सुना करते थे। ‘वे इस विषय पर कुछ […]

Read More »

श्रीगुरुजी

श्रीगुरुजी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – भाग १५ यह भारत के सभी नेताओं के नेतृत्व-गुणों की परीक्षा लेनेवाला समय था। इसी मुश्किल समय में गुरुजी ने अपनी अड़िग निष्ठा, वज्रक़ठोर दृढ़-निश्‍चय, अखंड परिश्रम और प्रखर बुद्धिमत्ता से, सभी स्वयंसेवकों में अपने स्नेहभाव के द्वारा नवचेतना और विश्‍वास का निर्माण किया। इसका तेजस्वी और रोमांचक इतिहास, संघ के […]

Read More »