अफगानिस्तान में अमरिका एवं ब्रिटेन के दूतावास के सामने आतंकियों ने किए धमाके में १० लोग मारे गए

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरकाबुल – अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में आतंकवादियों ने किये एक कार बम विस्फोट में १० लोगों की जान गई है तथा ५३ लोग जख्मी हुए हैं| इस विस्फोट के बाद अफगानी सुरक्षा यंत्रणा और आतंकवादियों में संघर्ष भड़का था| अमरिका और ब्रिटेन के दूतावास के पास यह विस्फोट होने की वजह से वहां की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है| अमरिका और तालिबान में सातवें स्तर की शान्तिचर्चा शुरू होते हुए राजधानी काबुल में यह विस्फोट किया गया है|

सोमवार की सुबह काबुल के ‘पुली महमूद खान’ हिस्से में सुबह शक्तिशाली कार बम विस्फोट हुआ| इस हमले के झटके २ किलोमीटर दूरी की इमारत को भी महसूस हुए| इस विस्फोट के बाद आतंकवादियों ने एक इमारत पर कब्जा करने का प्रयत्न किया| पर अफगाणी सुरक्षा रक्षकों ने आतंकवादियों को जोरदार प्रत्युत्तर दिया| इस हमले में ५३ जख्मी लोगों को अस्पताल में दाखिल किया गया है और बलि की संख्या में बढोतरी होने का डर व्यक्त किया जा रहा है|

इस हमले की ज़िम्मेदारी किसी भी आतंकवादी संगठन ने नहीं स्वीकारी है| पर पिछले कुछ दिनों से राजधानी काबुल में तालिबान तथा आईएस ने अपना प्रभाव बढ़ाया है| इन दोनों आतंकवादी संगठनों ने अफगानी लष्कर तथा सरकारी यंत्रणा पर हमले तीव्र किए हैं|

२ दिनों पहले कतार की राजधानी दोहा में अमरिका के प्रतिनिधि एवं तालिबान के कमांडर में चर्चा शुरू हुई है| आतंकवाद विरोधी कार्रवाई, विदेशी सैनिकों की अफगानिस्तान में तैनाती, अफगानी गुटो में बैठक और हमेशा के लिए संघर्षबंदी यह कतार में चर्चा का महत्वपूर्ण मुद्दा होगा, ऐसा कहा जा रहा है| इस संदर्भ में तालिबान ने आक्रामक भूमिका स्वीकारने की वजह से पहले ही चर्चा टूटी थी| अफगानिस्तान से अमरिका संपूर्ण सेना की वापसी करें ऐसी तालिबान की मांग है| पर अमरिका को यह मंजूर नहीं है|

अमरिका अफगानिस्तान से आंशिक रूप से वापसी करेगी| अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष को अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी युद्ध में होनेवाला खर्च कम करना है| इसका अर्थ अमरिका अफगानिस्तान में अपना अड्डा छोड़ देगा, ऐसा नहीं होता| पाकिस्तान, चीन, ईरान और रशिया के प्रभाव में होनेवाले मध्य एशियाई देशों की सीमा से जुड़े अफगानिस्तान से अपनी पूरी सेना वापसी करने का तालिबान का प्रस्ताव अमरिका द्वारा मंजूर करना असंभव है, ऐसा सामरिक विश्‍लेषकों का कहना है|

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