सीमा विवाद का असर भारत-चीन व्यापार पर ना होने दें – चीन के ‘ग्लोबल टाईम्स’ का आवाहन

नई दिल्ली/बीजिंग – चिनी उत्पादनों पर बहिष्कार करने के लिए भारतीय नागरिकों ने शुरू की हुई मुहीम सफल हो ही नहीं सकती, ऐसें दावे चीन का सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किए थए। लेकिन, गलवान वैली मे हुए संघर्ष के दौरान भारत के २० सैनिक शहीद होने पर गुस्सा हुए भारतीय नागरिकों ने चिनी सामान को आग के हवाले करना शुरू किया हैं। ऐसें में अब चीन के पैरो तले की ज़मीन खिसकती दिखाई दे रही है। भारत और चीन के आर्थिक एवं व्यापारी संबंधों पर सीमा विवाद का असर होने ना दें, यह आवाहन अब ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया है। भारत की सीमा पर की हुई गलत हरकत की अब हमें बड़ी क़ीमत चुकानी होगी, इसका एहसास चीन को हुआ है और चीन के सरकारी मुखपत्र ने कुछ मात्रा में नरमाई दिखाई है।

GlobalTimesइससे पहले चीन के सरकारी माध्यमों में, भारत में चीन के सामान का बहिष्कार करने के लिए हो रहे आवाहन का कई बार मज़ाक उड़ाया गया था। ‘भारत में चिनी सामान का बहिष्कार करना कभी भी कामयाब नहीं हो सकेगा। क्योंकि चिनी उत्पादन भारतीय समाज का एक अंग बने हैं’ इन शब्दों में चीन के सरकारी माध्यमों ने भारतीयों को उकसाया था। साथ ही, इससे पहले, चिनी सामान का बहिष्कार करने के लिए चलाई गईं कई मुहिमें नाकाम हुई हैं, इसकी याद भी ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भारतीयों को दिलाई थी। भारत का उत्पादन क्षेत्र काफ़ी अविकसित है और इस मोरचे पर भारत चीन से बराबरी नहीं कर सकता, यह दावा भी ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने पहले कई बार किया था।

लेकिन, लद्दाख में चीन ने दगाबाजी करने से भारत के २० सैनिक शहीद हुए और इसके बाद भारत में चिनी सामान का बहिष्कार करने का आवाहन और इसे प्राप्त हो रहे भारतीयों के समर्थन की दाहकता का एहसास अब चीन को होने लगा है और यह बात ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने लिखे नए लेख से स्पष्ट हो रही है। इसी वज़ह से, सीमा विवाद का असर दोनों देशों के आर्थिक और व्यापारी संबंधों पर होना नहीं चाहिए, यह आवाहन ग्लोबल टाईम्स ने किया है। भारत पड़ोस में शत्रु निर्माण करने के बजाय मित्र तैयार करें, यह सलाह भी चीन के इस मुखपत्र से अब दी गई है। लेकिन, यह आवाहन करते समय ही, चीन जैसे बड़े देश पर भारत की आर्थिक प्रगति निर्भर है, यह समझाने की कोशिश भी ‘ग्लोबल टाईम्स’ के इस लेख मे किया गया है। भारत में सबसे अधिक निवेश चीन से ही होता है। भारत के ३० बड़े स्मार्टअपस्‌ में से १८ में चीन का निवेश है, इस बात की याद भी चीन के इस सरकारी मुखपत्र ने दिलाई है।

घरेलु सामान, टीव्ही, मायक्रोवेव्ह, एअर कंडिशनर, मोबाईल फोन्स, लैपटॉप जैसीं वस्तुएँ भारत में चीन से ही आयात होती हैं। चीन से भारत को काफ़ी कम क़ीमत में सामान उपलब्ध हो रहा है। लेकिन, यदि भारत चीन को छोड़कर, इन सामानों की अन्य जगहों से आयात करता है, तो भारत को तुलना में अधिक रकम चुकानी होगी, इस ओर चीन के इस मुखपत्र ने ध्यान आकर्षित किया हैं। संक्षेप में, भारत को कम क़ीमत में अच्छे दर्जे का सामान प्राप्त करना कठिन होगा, यह दावा करने की कोशिश चीन के इस सरकारी मुखपत्र ने की है। इस कारण, कुछ लोगों से हो रहे बहिष्कार के आवाहन के पीछे भागकर, भारतीय नागरिक मूर्खता ना करें और चिनी सामान का बहिष्कार ना करें, यह बयान चीन के इस मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया है।

इसी बीच, देश में सात करोड़ व्यापारियों के ‘कान्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ (कैट) संगठन ने दिल्ली में चिनी सामान को आग में फूंक दिया। छोटे व्यापारी अब ग्राहकों को चिनी सामान की खरीद ना करने के लिए जागृत करेंगे, यह बात भी कैट ने कही है। इससे पहले कैट ने, पाबंदी लगाना मुमकिन होनेवाले ५०० ‘मेड इन चायना’ वस्तुओं की सूचि ही घोषित की थी। सिर्फ व्यापारी संगठन, भारतीय ग्राहक ही नहीं, बल्कि सरकार ने भी चिनी कंपनियों के कान्ट्रैक्ट रद करने का सिलसिला शुरू किया है और महाराष्ट्र सरकार ने चिनी कंपनियों के साथ हाल ही में किया हुआ चार हज़ार करोड़ रुपयों का समझौता भी रद किया है। उत्तर प्रदेश, हरियाना सरकार ने भी इसी तरह के निर्णय किए हैं और रेल प्रशासन ने भी चिनी कंपनियों को प्रदान किए कान्ट्रैक्ट रद करने की तैयारी दिखाई है। बीएसएनएल ने भी चीन का सामान इस्तेमाल बंद करने क निर्णय किया है।

India-Chinaदेश के लिए आवश्‍यक सामान का निर्माण देश में ही करने के लिए केंद्र सरकार व्यापक नीति बना रही है। इसके लिए जल्द ही एक श्‍वेतपत्रिका तैयार की जाएगी। इसके अनुसार देशी उद्योंगों को प्रोत्साहित करके, देश में सामान का निर्माण शुरू करने के लिए पहल करनेवाली कंपनियों को सहूलियतें दी जाएँगी। भारत के कुल आयात में चीन का हिस्सा लगभग १४ प्रतिशत है। लेकिन, आनेवाले दिनों में, चीन से हो रही आयात कम करने के लिए केंद्र सरकार आक्रामकता के साथ कदम उठा रही है और चिनी कंपनियों के कान्ट्रैक्ट रद करके सरकार ने अपनी प्राथमिकता तय की हुई दिख रही है। इसी वज़ह से, दाहकता का एहसास होने पर चीन ने अपने मुखपत्र के माध्यम से भारतीयों से आवाहन किया हुआ दिख रहा है।

आज तक भारत के साथ हो रहे व्यापार में चीन प्रति वर्ष ८० अरब डॉलर्स का व्यापारी लाभ उठा रहा था। ऐसा होते हुए भी चीन ने भारत के हितसंबंधों की कभी भी परवाह नहीं की। लेकिन, अब चीन का हिसाब चुकता करने का यह अवसर होने की आम प्रतिक्रिया भारतीय नागरिक दर्ज़ कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.