अफ़गानिस्तान में हुए बम विस्फोट में २७ की मौत – अमरिकी और नाटो सेनाओं की वापसी शुरू

काबुल – अफ़गानिस्तान के पूर्वी ओर के लोगार प्रांत में आतंकियों के कार बम के विस्फोट में २७ लोग मारे गए हैं। मृतकों में छात्र एवं अफ़गान सरकार से जुड़े सशस्त्र गुट के सदस्यों का समावेश है। इस हमले के लिए तालिबान ज़िम्मेदार होने का आरोप अफ़गानिस्तान के अंदरुनि रक्षा मंत्रालय ने किया है। तालिबान ने यह आरोप ठुकराया है। गौर करनेवाली बात है कि, तालिबान ने अमरिकी सेना की वापसी के लिए दी हुई अवधि पूरी होते समय यह हमला हुआ है, यह बात ध्यान आकर्षित करती है।

अमरीका और नाटो के सैनिकों ने शनिवार से अफ़गानिस्तान से वापसी शुरू की। अफ़गानिस्तान में अमरीका के ढ़ाई से साड़े तीन हज़ार सैनिक तैनात होने का दावा किया जा रहा है। १ मई से शुरू हुई यह सेना वापसी ११ सितंबर तक जारी रहेगी। अफ़गानिस्तान में अमरीका ने तय किया उद्देश्‍य पूरा होने का दावा राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने हाल ही में किया था। फिर भी यहां से वापसी के समय अमरिकी सैनिकों पर आतंकी हमला होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता, ऐसा अमरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन का कहना है।

इसी वजह से हमारे सैनिकों की वापसी सुरक्षित हो, इसके लिए अमरीका ने अफ़गानिस्तान में ६०० अतिरिक्त सैनिक तैनात किए है। इसके अलावा पर्शियन खाड़ी में अमरिकी युद्धपोत और दो बॉम्बर विमानों को तैयार रखा गया है, यह जानकारी पेंटॅगॉन ने साझा की है। पेंटॅगॉन ने स्पष्ट रूप से जिक्र नहीं किया है, फिर भी अमरिकी सेना की वापसी को तालिबान से भी खतरा होने का बयान लष्करी विश्‍लेषक कर रहे है।

शुक्रवार की शाम के समय पाकिस्तान की सरहद के पास अफ़गानिस्तान के लोगार प्रांत में हुए आतंकी हमले के लिए भी तालिबान ही ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाया जा रहा है। इस आतंकी हमले के दौरान किए गए बम धमाके में २७ लोग मारे गए और कम से कम ९० घायल हैं। स्थानीय लोग बड़ी संख्या में त्यौहार मनाने के लिए एक स्थान पर मिल रहे हैं और इसी बीच आतंकियों ने इस बम विस्फोट किया। इसके अलावा, शुक्रवार के दिन अफ़गानिस्तान के हेरात प्रांत में भी आतंकियों ने बम धमाका किया। इस दौरान चार लोग घायल हुए।

अफ़गानिस्तान में बीते २४ वर्षों से जारी संघर्ष में अब तक लगभग ४७,२५४ नागरिक मारे गए हैं। इसके अलावा तालिबान के विरोध में जारी संघर्ष में अब तक ६६ हज़ार से अधिक अफ़गान सैनिकों ने जान गंवाई है। इन दो दशकों से हो रहें संघर्ष में लाखों विस्थापित होने का दावा किया जा रहै है। अमरिकी सेना की वापसी के बाद अफ़गानिस्तान में हिंसा अधिक तीव्र होगी, ऐसा अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषकों का कहना है।

तालिबान अभी तक अल कायदा और पाकिस्तान के हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों से सहयोग बनाए होने का आरोप अफ़गान सुरक्षा और गुप्तचर यंत्रणा लगा रहे हैं। साथ ही पाकिस्तान की सेना और इस देश का कुख्यात ‘आयएसआय’ संगठन भी अमरीकी सेना की वापसी का लाभ उठाकर अफ़गानिस्तान पर पकड़ बनाने की मंशा रखता है। लेकिन, अमरीकी सेना की वापसी के बाद तालिबान को कुचलने के लिए हम तैयार होने का बयान भारतीय सेना ने ड़टकर किया है।

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