हृदय एवं रक्ताभिसरण संस्था – ३७

करोनरी रक्तवाहनियों में रक्तप्रवाह में रुकावट पैदा होने पर उस व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ जाता है, हृदयविकार का झटका आता है। यह बाधा कैसे निर्माण होती है, इस की जानकारी अब हम प्राप्त करेंगें। अचानक निर्माण होनेवाली रुकावट को Acute coronary occlusion कहते हैं।

इसका अर्थ है करोनरी रक्तवाहनियों में रक्त का प्रवाह अचानक बंद हो जाना। जिस व्यक्ति के करोनरी रक्तवाहनियों में अथेरोस्क्लेरोसिस का निर्माण हो जाता है, उसे हृदय-विकार का झटका आने की संभावना हमेशा बनी रहती हैं। परन्तु जिनकी करोनरी रक्तवाहनियाँ इस विकार से रहित है, उन व्यक्तियों में करोनरी रक्तप्रवाह बंद होने की संभावना ना के बराबर होती है।

करोनरी रक्तप्रवाह बंद होने के दो कारण होते हैं –

१) रक्तवाहिनियों में जो अथेरोस्क्लेरॉटिक प्लाकस् होते हैं, उनके चारों ओर गुठली जैसी रचना बन जाती है। इसे थ्रोंबस Thrinbns कहते हैं। प्लाक जब तक एन्डोथेलियम के पीछे रहता है, तब तक उसके पीछे रक्त की गुठली नहीं बनती। प्लाक जब बढ़ते-बढ़ते एन्डोथेलियम को छेदकर रक्तवाहनियों के रिक्तस्थान (खाली जगह) में आ जाता है, तब उसके ऊपर रक्त की गांठ तैयार हो जाती है। इस प्रकार प्लाक रक्त से सीधे संपर्क में आ जाता हैं। प्लाक यह खुरदरा होता है, अत: उसके ऊपर रक्त की प्लॅटलेटस् जमा हो जाती हैं। उनमें फ़ाईब्रिनोजेन डिपॉझिट हो जाता है। रक्त की लाल पेशियां इन सबमें अटक जाती है और रक्त की गांठ बन जाती है। यह गांठ बढ़ती जाती है और धीरे-धीरे रक्तप्रवाह में बाधा उत्पन्न हो जाती है। इस प्रक्रिया को थ्रोंबोसिस कहते हैं। कुछ समय के बाद यह गांठ प्लाक से अलग हो जाती है। रक्त के माध्यम से यह आगे बढ़ती जाती है और आगे की छोटी रक्तवाहनियों में जाकर फ़ॅंस जाती हैं और वहाँ से आगे का रक्तप्रवाह बंद हो जाता है। बड़ी रक्तवाहनियों से बहकर जाकर छोटी रक्तवाहनियों में यह गांठ फ़ॅंस जाती है। इस क्रिया को करोनरी एम्बॉनिझम कहते हैं।

२) अथेरोस्क्लेरॉटिक प्लाक के कारण कभी-कभी करोनरी आरटरीज के स्नायु आंकुचित हो जाते हैं और आकुंचित अवस्था में ही रहते हैं। इसे Spasm कहते हैं। इस से रक्तवाहनियों में रक्तप्रवाह में बाधा होती हैं। रक्तप्रवाह की गति कम होने के कारण रक्त में गांठ बन जाती है और रक्तप्रवाह बंद हो जाता है।

इस्चिमिक हार्ट डिसिज में कोलॅटरल रक्ताभिसरण का महत्व-
किसी भी कारण से करोनरी रक्तवाहनियों में रक्तप्रवाह के बंद हो जाने पर हृदय के स्नायुओं को धक्का पहुँचता है। इस धक्के की तीव्रता पर्यायी यानी वैकल्पित रक्ताभिसरण पर निर्भर होती है। अथेरोस्क्लेरॉसिस के धीरे-धीरे बढ़ते रहने से कालांतर में रक्तवाहनियों में बाधा बन जाती है, तब बीच के समय में यह पर्यायी रक्ताभिसरण शुरू हो चुका होता है। जब रक्तप्रवाह अचानक बंद पड़ जाता है तब ये पर्यायी रक्तवाहनियाँ बाद में कार्यरत होती हैं। मुख्य करोनरी रक्तवाहनियां एक-दूसरे से जुडी हुई नहीं होती हैं। परन्तु छोटी रक्तवाहनियां अनेक स्थानों पर एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं।

किसी भी मुख्य करोनरी रक्तवाहिनी में अचानक बाधा निर्माण हो जाने पर कुछ सेकेंड़ो के अंदर ही ये पर्यायी रक्तवाहनियां डायलेट हो जाती है। कार्डिआक स्नायु पेशियों को जिंदा रहने के लिए जितनी रक्त आपूर्ति आवश्यक होती है उससे आधी रक्त की आपूर्ति ये पर्यायी रक्तवाहनियां करती हैं। अगले २४ घंटों में इन रक्तवाहनियों का डायलेट होना रुक जाता है। दूसरे दिन से इन रक्तवाहनियों में रक्तप्रवाह बढ़ने लगता है। साधारणत: एक महीने में यह पर्यायी रक्तप्रवाह हमेशा की करोनरी रक्तप्रवाह के बराबर हो जाता है। हृदय पर काम का बोझ पड़ने पर यह रक्तप्रवाह भी बढ़ जाता है। हृदय विकार के झटके में हृदय का स्नायुओं के कारण का़फ़ी नुकसान ना होने पर इस कोलॅटरल रक्तप्रवाह के कारण वो व्यक्ति इस आघात से जल्दी उबर जाता है।

मुख्य करोनरी रक्तवाहनियों में अथेरोस्क्लेरोसिस का निर्माण होता रहता है। उसके साथ-साथ ये पर्यायी रक्तवाहनियां कार्यरत होती रहती हैं। इन दोनों क्रियाओं का वेग जब तक समान होता है तब तक व्यक्ति को हृदय विकार का कष्ट नहीं होता। पर्यायी रक्तवाहनियां के कार्यरत होने की एक सीमा है। अत: धीरे-धीरे अथेरोस्क्लेरोसिस का वेग बढ़ता जाता है और हृदय विकार की शुरुआत हो जाती हैं।

अब हमें देखना हैं कि हृदय विकार के झटके में जिसे हम हाट र्अटॅक कहते हैं, आखिर क्या होता है। इसे ही बैद्यकीय भाषा में मायोकर्डियल इनफ़ार्कशन कहते हैं। करोनरी रक्तवाहिनी में रुकावट आने से रक्तप्रवाह के कुंठित हो जाने पर इस रुकावट के बाद हृदय के स्नायुओं में होनेवाला रक्तप्रवाह क्षीण अथवा बंद ही पड़ जाता है। इस स्थिती में हृदय के उस भाग के स्नायु अपनी नॉर्मल कार्य करने की क्षमता खो देते हैं।

इस स्थिति को ‘इनफ़ार्कशन’ कहते हैं। ऐसे स्नायु को इनफ़ार्कटेड स्नायु कहते हैं। रक्तप्रवाह के कुंठित हो जाने के बाद हृदय के स्नायु जितनी प्राणवायु उपलब्ध होगी उसका इस्तेमाल करके जिंदा रहने की कोशिश करते हैं। परन्तु एक घंटे के अंदर यदि रक्तप्रवाह शुरू न हुआ तो ये पेशियां मृत हो जाती हैं। इनफ़ार्कटेड़ पेशियों में से बीच की पेशियां शीघ्र मृत हो जाती हैं।

मायोकार्डिअल इनफ़ार्कशन में एन्डोथेलिअम के पास के स्नायु के शीघ्र क्षीण हो जाते हैं। क्योंकि हमने देखा है कि हृदय के स्नायुओं के आकुंचन के दौरान (सिस्टोल) रक्तवाहनियां दाबी जाती हैं। यह दाब एन्डोयेलिअम के पास की रक्तवाहनियों पर ज्यादा होता है। इसीलिए हृदयविकार के झटके में सबसे पहले यहाँ के स्नायु इनफ़ार्कटेड़ होते हैं व इस इनफ़ार्कशन की क्रिया धीरे-धीरे हृदय के बाहरी भाग के स्नायु में फ़ैलती है।

इनफ़ार्कशन के दौरान हृदय में क्या-क्या होता हैं, यह हमने देखा। इस विकार में व्यक्ति के प्राणों को किस चीज़ से धोखा होता है, यह हम अगले लेख में देखेंगे।

(क्रमश:)

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