सबसे बड़े ध्वंसक युद्धपोत ‘मोरमुगाओ’ का जलावतरण

मुंबई, दि. १७ (वृत्तसंस्था) – स्वदेशी बनावट से बने ‘मोरमुगाओ’ इस अत्याधुनिक स्टेल्थ युद्धपोत का शनिवार के दिन नौसेना प्रमुख ऍडमिरल सुनिल लान्बा की उपस्थिति में जलावतरण हुआ| दुश्मन के मिसाईल्स रोककर उन्हें नाक़ाम बनाने की क्षमता रहनेवाला यह युद्धपोत, ‘प्रोजेक्ट १५ बी’ के तहत बनाया हुआ ‘विशाखापट्टनम श्रेणि’ का दूसरा ध्वंसक युद्धपोत है| यह युद्धपोत दुनिया के सर्वोत्तम युद्धपोतों में से एक है, ऐसा ऍडमिरल लान्बा ने कहा| साथ ही, इस श्रेणि के अगले युद्धपोतों का निर्माण कम समय में किया जायेगा, ऐसे संकेत भी उन्होने दिये|

‘मोरमुगाओ’पिछले साल के अप्रैल महीने में विशाखापट्टनम श्रेणि के पहले स्टेल्थ युद्धपोत ‘आयएनएस विशाखापट्टनम’ भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था| इसके क़रीबन डेढ़ साल बाद इसी श्रेणि के इस दूसरे युद्धपोत का जलावतरण किया गया है| इस युद्धपोत पर अत्याधुनिक मिसाइल्स तैनात किये जायेंगे| साथ ही, कुछ परीक्षण के बाद यह युद्धपोत ‘आयएनएस मोरमुगाओ’ इस नाम से नौसेना में शामिल किया जायेगा|

यह ध्वंसक युद्धपोत दुश्मन की रड़ारयंत्रणा को चकमा दे सकता है| साथ ही, इसमें बिठायी गयी अत्याधुनिक टेक्नॉलॉजी से दुश्मन द्वारा किया जानेवाला मिसाइल्स हमला नाक़ाम किया जा सकता है| ‘मोरमुगाओ’ पर, ज़मीन से ज़मीन पर ऍटॅक करनेवाले, ज़मीन से हवा में ऍटॅक करनेवाले मिसाइल्स के साथ, पनडुब्बीरोधी रॉकेट्स भी तैनात किये जानेवाले हैं| इसके साथ ही, पनडुब्बीरोधी हेलिकॉप्टर्स तैनात किये जा सकते हैं|

इस्रायल में विकसित हुई ‘मल्टी मिशन सर्व्हिलन्स थ्रेट अलर्ट रडार’ यंत्रणा भी इस युद्धपोत पर बिठाई जाने्वाली है| इस रडार यंत्रणा के साथ मध्यम पल्ले की एअर/सरफेस रडार और अन्य अत्याधुनिक हथियार सामग्री तैनात की जानेवाली है| इस युद्धपोत पर रडार यंत्रणा की वजह से दुश्मन के विमान और मिसाइल्स को कई किलोमीटर अंतर से जाना जा सकता है|

‘मोरमुगाओ’ का वजन ७ हजार ३०० टन इतना है| और यह युद्धपोत प्रति घंटा ३० सागरी मील की रफ़्तार से चल सकता है|
‘मोरमुगाओ’ का निर्माण माझगाँव डॉक में किया गया है| ‘प्रोजेक्ट १५बी’ के तहत, सन २०२४ तक ‘माझगाँव डॉक शिप बिल्डिंग लिमिटेड’ (एमडीएल) विशाखापट्टनम श्रेणि के और चार युद्धपो्तों का निर्माण होनेवाला है| लेकिन अगले युद्धपोत कम समय में निर्माण किये जायेंगा और जल्द से जल्द उन्हें नौसेना में शामिल किया जायेगा, ऐसे संकेत नौसेनाप्रमुख ऍडमिरल सुनिल लान्बा ने दिये है|

सन २०११ में इस श्रेणि के युद्धपोतों के निर्माण के लिये ‘एमडीएल’ के साथ समझौते किये गये थे| यह युद्धपोत दुनिया के सबसे ऍड्वान्स युद्धपोत में से एक है| इस स्वदेशी युद्धपोत का निर्माण डीआरडीओ और अन्य सरकारी संगठनों की सहायता से हुआ, ऐसा ऍडमिरल लान्बा ने कहा| यह युद्धपोत भारत के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का प्रतीक है, ऐसा ऍडमिरल लान्बा ने कहा|

इसी दौरान भारत ने ‘प्रोजेक्ट १५ बी’ के साथ साथ ‘प्रोजेक्ट १५ए’ कार्यक्रम हाथ में लिया था| इसके तहत ‘कोलकाता’ श्रेणि के तीन युद्धपोतों का निर्माण किया गया था| ‘कोलकाता’ श्रेणि में तीसरा युद्धपोत ‘आयएनएस चेन्नई’ इस साल के अप्रैल महीने में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है|

भारत के ‘प्रोजेक्ट १५ बी’ और ‘प्रोजेक्ट १५ ए’ के तहत निर्माण किये गये युद्धपोतों की वजह से, भारतीय नौसेना की ताकत और भी बढ़ गयी है| पनडुब्बीरोधी तक़नीक़ और मज़बूत हुई है| हिंद महासागर में चीन की बढ़ती चुनौती तथा चीन की पनडुब्बियों की आवाजाही देखते हुए यह बात बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है|

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