चीन की ‘वन चायना पॉलिसी’ के लिए बड़ा झटका – तैवान को ‘डब्ल्यूएचओ’ में शामिल कराने के लिए प्राप्त हो रहें समर्थन में बढ़ोतरी

पैरिस/वॉशिंग्टन – ‘जागतिक स्वास्थ्य संगठन’ (डब्ल्यूएचओ) की आम बैठक में तैवान को शामिल करवाने के लिए अमरीका, ब्रिटन, कॅनडा, युरोपिय महासंघ, ऑस्ट्रेलिया, न्यूझीलैंड एवं लैटिन अमरिकी देशों ने समर्थन घोषित किया। वहीं, फ्रान्स ने चीन का विरोध ठुकराकर, तैवान को लष्करी सहायता प्रदान करने का ऐलान किया है। अमरीका और अन्य देशों से तैवान को प्राप्त हो रहा राजनयिक एवं लष्करी समर्थन, चीन की ‘वन चायना पॉलिसी’ को लग रहा जोरदार झटका साबित होता है। तैवान यह अपना भूभाग है और वह आज़ाद देश नहीं हैं, यही भूमिका चीन अपनाता रहा है और यह भूमिका चीन की ‘वन चायना पॉलिसी’ का अहम हिस्सा साबित हुई है। अब इसे लग रहे झटकें, चीन के प्रभाव में गिरावट शुरू होने के संकेत दे रहें हैं।

अगले सोमवार और मंगलवार के दिन ‘डब्ल्यूएचओ’ की ‘वर्ल्ड हेल्थ असेंब्ली’ का आयोजन हो रहा है। कोरोनावायरस की पृष्ठभूमि पर ब्रुसेल्स में हो रहीं इस बैठक में, संयुक्त राष्ट्रसंघ की बैठक की तरह ही सभी देश एवं संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इस वर्ष से, इस बैठक में तैवान को भी शामिल कराया जायें, यह माँग ज़ोर पकड़ रही हैं। कोरोनावायरस के विरोध में जारी जंग में तैवान की भूमिका अहम है, यह दावा अमरीका कर रहीं हैं। ब्रिटन, कॅनडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूझीलैंड के साथ ही युरोपिय महासंघ के सदस्य देशों ने भी, इस बैठक में तैवान को शामिल करवाने की माँग की हैं। वहीं, पिछले वर्ष के अन्त में स्थापित किए गए ‘फ़ॉरमोसा क्लब’ इस दस लैटिन अमरिकी देशों के संगठन ने भी ‘डब्ल्यूएचओ’ के सामने यहीं सिफारिश लिखित रूप में की हैं।

लेकिन, चीनपरस्त भूमिका अपनाने के आरोप हो रहे ‘डब्ल्यूएचओ’ ने, तैवान को इस बैठक में शामिल करने के लिए अभी मंज़ुरी नहीं दी हैं। प्रमुख सदस्य देशों का पूरा समर्थन प्राप्त हुए बिना, तैवान को शामिल कराना मुमकिन नहीं होगा, यह कारण ‘डब्ल्यूएचओ’ ने आगे किया है। लेकिन, ‘डब्ल्यूएचओ’ निष्पक्ष भूमिका अपना नहीं रहा है, यह आलोचना तैवान ने की है। चीन ने तैवान के समावेश के मुद्दे पर आपत्ति जताई है। तैवान यह चीन का ही क्षेत्र होने की बात का स्वीकार किया, तो ही ‘डब्ल्यूएचओ’ की बैठक में तैवान को, बतौर चीन का हिस्सा, स्थान प्राप्त होगा, यह शर्त चीन ने रखी हैं। लेकिन, तैवान ने चीन की यह शर्त ठुकराई है। तैवान चीन का भूभाग कभी भी नहीं था; इस कारण, बेबुनियादी बातों का स्वीकार करने में कुछ भी मतलब नहीं हैं, इन शब्दों में तैवान ने चीन को फटकार लगाई है।

चीन के विरोध में खड़े रहें इस राजनयिक मोरचे के साथ ही, लष्करी मोरचा भी आकार धारण कर रहा है। फ्रान्स ने तैवान को लष्करी सामान की सप्लाई करने के संकेत दिए हैं। तैवान के युद्धपोतों पर तैनात मिसाइलों का आधुनिकीकरण करने के लिए फ्रान्स से प्राप्त हो रहीं सहायता पर भी चीन ने आपत्ति जताई थी। साथ ही, इस लष्करी सहयोग की वज़ह से चीन के फ्रान्स के साथ रिश्‍ते बिगड़ेंगे, यह चेतावनी चीन ने दी थी। लेकिन, फ्रान्स ने चीन की यह चेतावनी ठुकराई है और चीन कोरोना के विरोध में जारी जंग पर ध्यान केंद्रित करें, ऐसी फटकार भी फ्रान्स ने लगाई है।

इससे पहले तैवान की खाड़ी में अपनी नौसेना के युद्धपोत भेज़कर एवं तैवान के हवाई क्षेत्र में लड़ाकू विमानों की घुसपैंठ करवाकर चीन ने तैवान पर लष्करी दबाव बढ़ाने की कोशिश की थी। लेकिन, इसकी गंभीरता से दखल लेकर अमरीका ने इस क्षेत्र में अपने युद्धपोतों की गश्‍त शुरू की थी। अपने सामर्थ्य का प्रयोग करके चीन तैवान को धमका नहीं सकता, यह संदेश अमरीका द्वारा दिया जा रहा है। अब फ्रान्स ने भी तैवान के साथ लष्करी सहयोग शुरू करके, चीनविरोधी मोरचा और भी मज़बूत हुआ दिखा दिया है।

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