भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश के लिए बड़ा प्रतिसाद – ‘इन-स्पेस’ के पास चार विदेशी कंपनियों समेत २६ कंपनियों के प्रस्ताव

बंगळुरू – भारत सरकार के अंतरिक्ष क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुला करने के फ़ैसले के बाद इस क्षेत्र में निवेश के लिए बड़ा प्रतिसाद मिल रहा है। ग्राऊंड स्टेशन का निर्माण करने से लेकर प्रक्षेपक यान बनाने तक के प्रस्ताव ‘इंडियन नॅशनल स्पेस प्रमोशन ऍण्ड ऍथॉरायझेशन सेंटर’ (इन-स्पेस) अंतरिक्ष नियंत्रक संस्था के पास आये हैं। इनमें २२ देसी कंपनियाँ और चार विदेशी कंपनियों का समावेश होने की ख़बर है।

कुछ महीने पहले भारत सरकार ने देश की नयी अंतरिक्ष नीति की घोषणा की थी। देश में पहली ही बार अंतरिक्ष क्षेत्र निजी क्षेत्र के लिए खुले करने का फ़ैसला किया था। साथ ही, विदेशी कंपनियों के लिए भी भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश के द्वार खुले कर दिये थे। विदेशी कंपनियाँ भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी किये बिना भी इस क्षेत्र में निवेश कर सकती हैं, इसलिए उनसे बड़े निवेश की उम्मीद की जा रही थी। उम्मीद के अनुसार बड़ा प्रतिसाद मिलता दिख रहा है।

कुल २६ कंपनियों के प्रस्ताव अब तक ‘इन-स्पेस’ के पास आये हैं। इनमें २२ देसी कंपनियों का समावेश है। वहीं, चार विदेशी कंपनियों ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश की तैयारी दर्शायी है। इनमें ‘ऍमेझॉन’ और ‘भारती ग्रुप’ का निवेश होनेवाली ‘वनवेब’ इस ब्रिटीश कंपनी का समावेश है। साथ ही, संयुक्त अरब अमिरात के ‘आर्चेरोन ग्रुप’ और नॉर्वे के ‘कॉंग्सबर्ग सॅटेलाईट सर्व्हिसेस’ (केएसएटी) ने भी प्रस्ताव भेजा है।

‘वन वेब’ ने छोटे उपग्रहों का नेटवर्क बनाकर उसपर आधारित सेवाओं के लिए उत्सुकता दर्शायी है। वहीं, ‘आर्चेरोन ग्रुप’ ने छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण में और ‘केएसएटी’ ने ग्राऊंड स्टेशन का निर्माण करने में दिलचस्पी दिखायी है। भारतीय कंपनियों में ‘टाटा’ की ‘नेल्को’ ने अर्थ ऑर्बिट नेटवर्क सेवा के लिए सहयोग माँगा है। उसी प्रकार, ‘एल ऍण्ड टी’ कंपनी ने ‘स्मॉल सॅटेलाईट लॉन्च व्हेईकल’ (एसएसएलव्ही) बनाने के लिए ‘इन-स्पेस’ के पास प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।

इनके अलावा और कुछ कंपनियाँ और स्टार्टअप्स् आगे आयीं हैं। बंगळुरू के अल्फा डिझाईन ने भी छोटे उपग्रह बनाने में दिलचस्पी दिखायी है। मंगळुरू के श्रीनिवास इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, युनिसॅट, आयआयटी-मुंबई, आयआयटी मद्रास के भी प्रस्ताव आये हैं। स्पेसकिड्स इंडिया ने भी प्रस्ताव दिया है। भारतीय और विदेशी कंपनियाँ भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में जिस प्रकार दिलचस्पी दिखा रहीं हैं, वह उत्साहवर्धक है, ऐसा इस्रो के प्रमुख के. सिवन ने कहा है।

अंतरिक्ष क्षेत्र निजी क्षेत्र के लिए खुला करने का बड़ा लाभ भारत को मिलेगा। इस क्षेत्र में आनेवाले समय में बड़ी प्रगति होगी। आन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारतीय उद्योग आनेवाले दौर में अहम भूमिका निभायेंगे, ऐसा विश्‍वास के. सिवन ने कुछ महीने पहले व्यक्त किया था।

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