विमान वाहक युद्धपोत ‘विक्रांत’ की हुई ‘बेसिन ट्रायल’

कोचि – भारत की पहली स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत ‘आयएनएस विक्रांत’ का ‘बेसिन ट्रायल’ यानी उथले पानी में किया गया परीक्षण कामयाब हुआ हैं। वर्ष २०२१ केशुरू से ‘विक्रांत’ का समुद्री परीक्षण शुरू होगा, यह जानकारी रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने साझा की हैं। भारतीय नौसेना विमान वाहक युद्धपोत ‘आयएनए विक्रमादित्य’ से सज्जित हैं और ‘विक्रांत’ का समावेश होने से भारत की समुद्री सुरक्षा अधिक मज़बूत होगी।

भारतीय नौसेना के गौरवशाली इतिहास में ‘आयएनएस विक्रांत’ और ‘आयएनएस विराट’ इन दो विमान वाहक युद्धपोतों ने बड़ी ज़िम्मेदारी निभाई हैं। इन दोनों के साथ मौजूदा स्थिति में भारतीय नौसेना में कार्यरत ‘आयएनएस विक्रमादित्य’ विमान वाहक युद्धपोत का निर्माण विदेश में हुआ हैं। लेकिन, अब जल्द ही भारत को स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत प्राप्त होगी।

सोमवार के दिन कोचि शिपयार्ड में निर्माण की गई ‘आयएनएस विक्रांत’ का ‘बेसिन ट्रायल’ किया गया। समुद्री परीक्षण के लिए इस युद्धपोत को गहरें समुद्र में उतारने से पहले इस युद्धपोत के ‘प्रोपल्शन प्लांट’ एवं ‘गैस टर्बाईन्स’, ‘गिअर बॉक्स’ और ‘शाफ्टिंग’ का परीक्षण किया जाता हैं।

व्हाईस एडमिरल ए.के.चावला, कोचीन शिपयार्ड के अध्यक्ष मधू एस.नायर और अन्य अफसरों की मौजुदगी में इस युद्धपोत का ‘बेसिन ट्रायल’ किया गया। नौसेना के मानकों के अनुसार यह परीक्षण सफल होने का ऐलान किया गया हैं। अगले वर्ष ‘विक्रांत’ का समुद्र परीक्षण शुरू होगा। इस परीक्षण के बाद ‘विक्रांत’ भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने के लिए तैयार होगी। अगले वर्ष केअन्त या वर्ष २०२२ केशुरू में ‘आयएनएस विक्रांत’ भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होगी, यह दावा किया जा रहा हैं।

विमान वाहक युद्धपोत ‘विक्रांत’ पर ३० लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर्स की तैनाती संभव होगी। इनमें ‘मिग-२९के’ विमान और ‘केए-३१’ हेलिकॉप्टर्स का समावेश रहेगा। इस युद्धपोत पर १६० अफसर और १,४०० नौसैनिक तैनात हो सकते हैं। २६० मीटर लंबाई होनेवाली ‘आयएनएस विक्रांत’ प्रतिघंटा २८ समुद्री मील गति से सफर करने की क्षमता रखती हैं।

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