‘डिमॉनेटायझेशन’ की ज़िम्मेदारी में नाकाम हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर से बैंक कर्मचारियों तथा अधिकारियों द्वारा इस्तीफ़े की माँग

नवी दिल्ली: ‘डिमॉनेटायझेशन’ के फैसले के बाद देश में पैदा हुए भयंकर हालात के लिए रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल जिम्मेदार हैं, ऐसा इल्ज़ाम बैंक कर्मचारियों एवं अधिकारियों के संगठन ने लगाया है| इन हालात की ज़िम्मेदारी का स्वीकार करते हुए पटेल ने इस्तीफ़ा देना चाहिए, ऐसी माँग यह संगठन कर रहा है| साथ ही, बैंक कर्मचारी और अधिकारी दिनरात काम कर रहे हैं और अब तक काम के बढते तनाव के कारण ११ बँक अधिकारियों की मौत हुई है| रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर के तौर पर काम कर रहे उर्जित पटेल की अकार्यक्षमता का यह सबूत है, ऐसा आरोप बैंक कर्मचारी एवं अधिकारियों के संगठन ने किया है|

Seal_of_the_Reserve_Bank_of_India- रिजर्व बैंक

‘ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन’ के उपाध्यक्ष विश्‍वास उटगी ने, बैंक कर्मचारियों पर बढ़ते तनाव की जानकारी दी| डिमॉनेटायझेशन के फैसले के बाद बैंक के कर्मचारी दिन के १६ से १८ घंटे काम कर रहे हैं| छुट्टी के दिन भी बँक चालू है और काम के तनाव के भयंकर परिणाम दिखायी देने लगे हैं| लेकिन रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों को थोड़ीसी भी मदत नहीं की जा रही है| सहकारी बैंकों को पुराने नोट बदलने की अनुमति नकारकर, रिजर्व बैंक ने यह चुनौती और भी कठिन बनाई है, ऐसी आलोचना उटगी ने की| साथ ही, देशभर के बैंकों में काऊंटिंग मशिन्स और नकली नोट पहचाननेवाली मशिन उपलब्ध नहीं है| बैंकों में पर्याप्त मात्रा में श्रमशक्ति उपलब्ध नहीं है| इन हालातों के लिए रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर ज़िम्मेदार हैं, ऐसा इल्ज़ाम लगाते हुए उटगी ने उनके इस्तीफे की माँग की है|

तभी ‘ऑल इंडिया बँक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन’ के उपाध्यक्ष थॉमस फ्रँको ने, ‘काम के बढते तनाव के चलते अब तक लगभग ११ बैंक अधिकारियों की मौत हुई है’ ऐसा कहते हुए, बिना पूरी तैयारी के यह ‘डिमॉनेटायझेशन’ का निर्णय लिया गया, ऐसी तीखी प्रतिक्रिया दी है| बैंक के काऊंटर पर लोग आकर रो रहे हैं, ऐसा कहते हुए फ्रँको ने, इतना अहम फैसला इस तरह गलत ढंग से लेने की वजह से देशभर में भयंकर अफरातफरी का माहौल है, ऐसी आलोचना की है| दो हज़ार रुपये के नोट छापने के बजाय पाँच सौ रुपये के नोट छापना ज़्यादा अच्छा होता| भारत जैसे देश में नोटों का व्यवहार किस ढंग से होता है, यह बीना सोचे समझे दोन हजार की नोट छापी गई है| इस वजह से निर्माण हुए हालातों का सामना करने के लिए सौ रुपये का पुराना नोट रिझर्व्ह बँक को फिर से बाहर निकालना पड़ा है| नकली नोट पहचाननेवाली मशिन इन पुराने नोटो को स्वीकार नहीं करती| इस वजह से परिस्थिति और भी गंभीर बनती जा रही है, इस ओर फ्रँको ने ग़ौर फ़रमाया|

दोन हज़ार और पाँचसौ के नोट पुराने नोटों के मुकाबले छोटे हैं| इस वजह से देशभर की एटीएम मशिन्स रिकॅलिब्रेट करने की ज़रूरत है| क्या इसका एहसास यह फ़ैसला करनेवाले को नहीं हुआ था? ऐसा सवाल फ्रँको ने पूछा है| इस पूरे मसले की ज़िम्मेदारी रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल की ही है| उनकी अकार्यक्षमता की वजह से ही यह समस्या और भी गंभीर बनती जा रही है| इसीलिए इसकी नैतिक ज़िम्मेदारी का स्वीकार करते हुए उन्होंने तुरंत इस्तीफ़ा देना चाहिए, ऐसी माँग फ्रँको ने की है| ‘ऑल इंडिया बँक एम्प्लॉईज् असोसिएशन’ के महासचिव सी. एच. व्यंकटचलम ने कहा कि ‘पूरी ज़िंदगी में बैंक कर्मचारियों को काम की वजह से इतना तनाव महसूस नहीं हुआ था। बैंक के कर्मचारी गिरने के स्थिति में है|’ इसीके साथ, ‘सौ रुपये, पाँच सौ रुपये और दो हज़ार रुपये के नये नोट उपलब्ध नहीं हैं, इसके लिए लोग बँक कर्मचारियों को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं’ इस ओर भी व्यंकटचलम ने ध्यान खींचा|

इसी दौरान डिमॉनेटायझेशन की चुनौती, आनेवाले समय में और भी कड़ी होगी, ऐसी चेतावनी विशेषज्ञ दे रहे हैं| सोमवार तक बँको में डिपॉझिट हुए ४ लाख ३२ हजार करोड़ रुपये की राशि का स्वीकार करने के लिए रिजर्व बैंक को भी काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है|

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