बांगलादेश भारत के लिए दो बंदरगाह खुले करेगा

ढाका – चितगांव और मोंगला यह प्रमुख बंदरगाह भारत के लिए खुले करने का निर्णय बांगलादेश ने लिया है। बांगलादेश के कैबिनेट बैठक में इस संबंध से करार के मसौदे को मंजूरी दी गई है। जल्दी भारत और बांगलादेश में इस संदर्भ में करार हो सकता है। इसकी वजह से भारत और बांगलादेश में सहयोग अधिक सक्षम होंगे तथा इस करार से भूटान और नेपाल को भी शामिल करने के प्रावधान होने से यह करार व्यूहरचनात्मक रुप से महत्वपुर्ण है।

भारत को अपनी उत्तर-पूर्व राज्यों को माल परिवहन एवं आवश्यक प्रदाय करने के लिए रास्ते एवं रेल मार्ग से बहुत बड़ा अंतर काटना होता है। इसके लिए अधिक समय भी लगता है और खर्च भी बहुत होता है। पर बांगलादेश के बंदरगाह का उपयोग करके उत्तर-पूर्व राज्यों को कम समय में एवं अल्प खर्च में यह प्रदाय किया जा सकता है, इस बारे में प्रस्ताव भारत ने बांगलादेश को दिया था। सन २०१५ में दोनों देशों में इस संबंध में सहयोगी करार पर हस्ताक्षर हुए हैं। पर इस करार को अभी तक अंतिम स्वरूप नहीं मिला है। इस पृष्ठभूमि पर बांगलादेश सरकार ने भारत को परिवहन के लिए चितगाव और मोंगला यह दो बंदरगाह खुले करने का निर्णय लिया है एवं उसके लिए करार का मसौदा भी तैयार किया है। बांगलादेश के मंत्रिमंडल ने इस मसौदे को मंजूरी दी है और अब भारत के पास यह मसौदा मंजूरी के लिए भेजा जाने वाला है।

इस करार के अनुसार बांगलादेश ने चितगांव और मोंगला बंदरगाह के साथ भारत के लिये आगे चलकर माल परिवहन के लिये चार रास्तों का मार्ग भी उपलब्ध कराने के लिए मंजूरी दी है। इस बंदरगाह तक अखुरा होकर अगरतला तक, ताम्बिल से डावकी तक, शेवला मार्ग से सुतारखंडी तक और सीमांतपुर मार्ग से बिबेक बाजार तक माल परिवहन करने वाले ट्रक पहुंच सकते हैं, ऐसी जानकारी बांगलादेश के कैबिनेट सचिव शफीउल अलाम ने दी है और बांगलादेश के सीमा में केवल बांगलादेश के वाहन एवं जहाज माल परिवहन करेंगे ऐसी शर्त रखी गई है।

तथा इस माल पर कर एवं अन्य शुल्क जारी किया जाएगा तथा जीपीएस एवं इ-लॉकिंग सिस्टम द्वारा माल परिवहन पर नजर रखी जाएगी, ऐसा भी बांगलादेश में सूचित किया है।

भारत और बांगलादेश में यह करार होने पर दोनों देशों में संबंध अधिक दृढ़ होंगे, ऐसा भी अलाम ने कहा है। विशेष तौर पर इस करार में नेपाल और भूटान भी शामिल हो इसके लिए प्रावधान किया गया है, ऐसा अलाम ने कहा है। सार्क और बिम्सटेक के संगठनों के अंतर्गत पड़ोसी देशों में मुक्त परिवहन का प्रस्ताव भारत ने इससे पहले भी दिया था। चीन भारतीय उपखंड के देशों में मूलभूत सुविधा विकसित करने के लिए आक्रामक प्रयत्न करते समय भारत ने अपने पड़ोसी देशों को यह प्रस्ताव देकर चीन को रोकने के लिए गतिविधियां शुरू की थी। नेपाल एवं श्रीलंका तथा बांगलादेश में चीन का निवेश हो रहा है। हालही में नेपाल को अन्य देशों से व्यापार करने के लिये भारत के अतिरिक्त दूसरा विकल्प उपलब्ध हो इसके लिए अपने बंदरगाह चीनने खुले किए हैं। भारत का अपने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग बढ़ाना अत्यावश्यक बना है। इस पृष्ठभूमि पर बांगलादेश ने लिया यह निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिम्सटेक की बैठक में रेलवे, रास्ते, बंदरगाह एवं हवाई मार्ग से सदस्य देशों में कनेक्टिविटी बढ़ाने का प्रस्ताव भारत ने दिया था। इस पर सदस्य देशों की बैठक में चर्चा भी हुई थी।

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