बांगलादेश के संस्थापक मुजीबूर रहमान के हत्यारे को फ़ाँसी – २५ वर्ष कोलकाता में छिपा रहा

ढाका – बांगलादेश के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री मुजीबूर रहमान के हत्यारों में से एक होनेवाले बांगलादेश के पूर्व लष्करी अधिकारी को शनिवार की मध्यरात्रि के समय फ़ाँसी पर लटका दिया गया। तीन ही दिन पहले बांगलादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामीद ने इस हत्यारे की दया याचिका ख़ारिज कर दी थी। यह हत्यारा गत २५ साल भारत में कोलकाता में छिपा बैठा थी और हाल ही में बांगलादेश लौटा था। मंगलवार को ही उसे ढाका में ग़िरफ़्तार किया गया था।

बांगलादेश मुक्ति संग्राम के प्रणेते होनेवाले बंगबंधु मुजीबूर रहमान की सन १९७५ में उनके निवासस्थान पर सारे परिवार के साथ हत्या कर दी गयी थी। मुजीबूर रहमान की कन्या और विद्यमान बांगलादेश की प्रधानमंत्री उस समय जर्मनी में होने के कारण बच गयीं थीं। तत्कालीन प्रधानमंत्री मुजीबूर रहमान की सरकार का तख़्ता पलटने के लिए रची साज़िश के अंतर्गत रहमान की हत्या करायी गयी थी। इस साज़िश में कुछ लष्करी अधिकारियों का समावेश था।

इस साज़िश में सहभागी बारा लोगों को बांगलादेश न्यायालय ने फ़ाँसी की सज़ा सुनायी थी। इनमें बांगलादेश लष्कर के पूर्व कॅप्टन अब्दुल मजिद का भी समावेश था। लेकिन वह फरार हुआ था। सन १९९६ में ही मजीद ने बांगलादेश से पलायन किया था। लेकिन गत मंगलवार को उसे अचानक ढाका के मीरपूर इलाक़े में से ग़िरफ़्तार किया गया। मजिद की तहकिक़ात में उसने, वह २५ साल भारत में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में छिपकर रह रहा था, ऐसी जानकारी दी।

मजिद की ग़िरफ़्तारी के बाद, न्यायालय ने उसे सुनाये हुए फ़ाँसी के निर्णय के अनुसार, तत्काल डेथ वॉरंट जारी करने के लिए बांगलादेश सरकार ने न्यायालय में अर्ज़ी की थी। फ़ाँसी टालने के लिए मजिद ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाख़िल की थी। लेकिन गुरुवार को ही इस याचिका को राष्ट्रपति अब्दुल हामीद ने खारिज़ कर दिया। इस कारण, मजिद को अब कभी भी फ़ाँसी पर लटकाया जा सकता है, ऐसा माना जा रहा था। शनिवार को उसे उसके परिवारवालों से मिलने के लिए समय दिया गया था। उसके कुछ ही घंटों बाद मजिद को फ़ाँसी पर लटकाया गया।

२०२० यह साल मुजीबूर रहमान का जन्मशताब्दी वर्ष होने के कारण, उनके फरार हत्यारे को हुई फ़ाँसी यह वंगबंधु को बड़ी आदरांजली है, ऐसी प्रतिक्रिया बांगलादेश के गृहमंत्रि ने दी है।

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