‘ऑकस डील’ यानी यूरोपिय महासंघ के लिए ‘वेक अप कॉल’

‘वेक अप कॉल’पैरिस/कैनबेरा – ‘ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमरीका के बीच किया गया पनडुब्बियों से संबंधित समझौता यूरोपिय महासंघ के लिए ‘वेक अप कॉल’ है। यूरोपिय देश किसी एक बात के लिए दूसरे पर निर्भर नहीं रह सकते। महासंघ के सदस्य देशों को एक-दूसरे के मतभेद मिटाकर एकजुट होने की जरुरत है’, यह इशारा जर्मनी के यूरोपियन अफेअर्स विभाग के मंत्री मायकल रॉथ ने दिया है। ‘ऑकस डील’ के मुद्दे पर फ्रान्स आक्रामक हुआ है और इसका असर ‘नाटो’ की एकता पर पड़ सकता है, ऐसा इशारा ब्रिटेन के पूर्व राजनीतिक अधिकारी ने दिया है। यूरोपिय महासंघ ने भी फ्रान्स का साथ देने का निर्णय किया है और ‘ऑकस डील’ के मुद्दे पर स्वतंत्र बैठक का आयोजन भी किया है।

ऑस्ट्रेलिया ने बीते हफ्ते में अमरीका और ब्रिटेन के साथ परमाणु पनडुब्बियों के साथ अन्य रक्षा सहयोग से संबंधित समझौता किया था। इस समझौते से पहले ऑस्ट्रेलिया ने पनडुब्बियों से संबंधित समझौता करने के लिए फ्रान्स से बातचीत शुरू की थी। इसके लिए ऑस्ट्रेलिया ने फ्रेंच कंपनी से संपर्क किया था। इस पृष्ठभूमि पर ऑस्ट्रेलिया, अमरीका या ब्रिटेन में से किसी ने भी फ्रान्स से बातचीत किए बगैर ही यह समझौता किया। इससे फ्रान्स काफी आहत होने की बात सामने आ रही हैं। दो दिन पहले फ्रान्स ने ऑस्ट्रेलिया और अमरीका से अपने राजदूतों को वापस बुलाया था। लेकिन, फ्रान्स इतने पर ही रुका नहीं हैं और यह मुद्दा यूरोपियन अस्मिता का होने की भूमिका अपनाई है।

‘वेक अप कॉल’फ्रान्स के साथ यूरोपिय महासंघ इसके आगे गठबंधन और भागीदारी की कल्पना पर पुनर्विचार करेंगे, ऐसा इशारा फ्रान्स के विदेशमंत्री जीन य्वेस-द्रिआन ने दिया है। यह मुद्दा सिर्फ रक्षा समझौता तोड़ने का नहीं है बल्कि मित्रदेशों का विश्‍वास तोड़ने की गंभीर बात है, यह बात भी फ्रेंच विदेशमंत्री ने स्पष्ट की। फ्रान्स के यूरोपियन अफेअर्स विभाग के मंत्री क्लेमेन्ट ब्युन ने इस मुद्दे पर यह बयान किया कि, कुछ हुआ ही नहीं है, ऐसी भूमिका यूरोपिय महासंघ ना अपनाए। फ्रान्स की इस आक्रामकता का यूरोपिय महासंघ ने भी समर्थन किया है। सोमवार के दिन यूरोपिय महासंघ ने इस मुद्दे पर विशेष बैठक बुलाई है। यूरोपिय महासंघ की प्रमुख उर्सुला व्हॉन डर लेयन ने भी फ्रान्स से किया गया बर्ताव स्वीकारार्ह ना होने का इशारा दिया है।

‘वेक अप कॉल’फ्रान्स और यूरोपिय महासंघ की इस आक्रामक भूमिका का असर ‘नाटो’ की एकता पर पड़ सकता है, ऐसा इशारा ब्रिटेन के वरिष्ठ राजनीतिक अफसर ने दिया है। ‘ऑकस डील’ की वजह से नाटो और नाटो सदस्य देशों पर फ्रान्स का विश्‍वास निश्चितरूप से उठ गया है। इस वजह से अगले दिनों में वह यूरोप की सामरिक स्वायत्ता पर अधिक जोर देने की संभावना है। नाटो के लिए यह बात झटका देनेवाली है, क्योंकि ‘नाटो’ विश्‍वास पर निर्भर है’, ऐसा इशारा ब्रिटेन के पूर्व राजनीतिक अधिकारी पीटर रिकेटस्‌ ने दिया। रिकेटस्‌ फ्रान्स में राजदूत एवं नाटो में प्रतिनिधि रह चुके हैं। इसी बीच, फ्रान्स ने ब्रिटेन के साथ रक्षा संबंधी बातचीत के कार्यक्रम में बदलाव किया है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी गतिविधियों का प्रत्युत्तर देने के लिए अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने व्यापक रक्षा सहयोग के लिए समझौता किया है। ‘ऑकस डील’ नामक इस समझौते के अनुसार अमरीका और ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया को आठ परमाणु पनडुब्बियों की आपूर्ति करेंगे। इसके अलावा लंबी दूरी के मिसाइल, सायबर तकनीक, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, क्वांटम तकनीक क्षेत्र से संबंधित सहयोग पर भी सहमति हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.