औरंगाबाद विस्फोट मामले में अबु जुदांल समेत बारा लोग दोषी

मुंबई, दि. २८ (वृत्तसंस्था) – सन २००६ में औरंगाबाद और मालेगांव में भारी मात्रा में बरामद हुए हथियार और विस्फोटकों के मामले में, १२ आतंकवादियों को विशेष मकोका अदालत ने दोषी क़रार दिया| इसमें २६/११ आतंकी हमले के साथ साथ अन्य कई आतंकी हमलों में शामिल रहे ‘लश्कर-ए-तोयबा’ का ‘अबु जुंदाल’ भी शामिल है|

abu-jundal- अबु जुदांलइन आतंकवादियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साज़िश रची थी| साथ ही, कई ठिकानों पर विस्फोट करने की साज़िश भी रची थी, यह बात भी साबित हुईं है| इस मामले में अदालत ने आठ लोगों की सबूतो के अभाव से रिहा कर दिया है|

८ मई २००६ में महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दल (एटीएस) ने छापा मारकर भारी मात्रा में विस्फोटक तथा हथियार बरामद किए थे| नासिक से बड़ी मात्रा में विस्फोटक की तस्करी होने की जानकारी तत्कालीन  ‘एटीएस’ प्रमुख के. पी. रघुवंशी को मिली थी| इस  खुफ़िया जानकारी के सहारे एटीएस ने औरंगाबाद के चंदवाड-मनमाड मार्ग पर संदिग्ध दो मोटरें पहचान ली थीं| इन मोटरों का पीछा करते हुए विस्फोटक एवं हथियार बरामद किए थे| एटीएस द्वारा पकड़े गए इन दो गाड़ियों में से ३० किलो आरडीएक्स, १० एके-४७, ३२ बुलेट्स मिले थे| तब पकड़े गए तीन आतंकवादियों से मिली जानकारी के बाद, औरंगाबाद, मनमाड एवं मालेगाव में कई जगह से गिरफ्तारी हुई थी| इन जगहों से हथियार और विस्फोटक भी बरामद हुए थे|

ये विस्फोटक पाकिस्तान से ‘लश्कर-ए-तोयबा’ और सिमी नेटवर्क के माध्यम से औरंगाबाद तक पहुँचे थे, यह स्पष्ट हुआ था| इसके बाद एटीएस ने मालेगांव और औरंगाबाद में छापे मारे थे, जहाँ से इस पूरे षडयंत्र का मास्टमाईंड अबू जुंदाल भागने में क़ामयाब हुआ था| उसके बाद अबू जुंदाल बांग्लादेश भाग गया और वहॉं से पाकिस्तान गया| पाकिस्तान से जुंदाल ने भारत में घातपाती हमले चढ़ाने की कई साजिश रची थी| २६/११ हमले में ज़िंदा पकड़े गए अजमल कसाब के बयान में भी अबु जुंदाल का नाम आया था| ‘जुंदाल ने हमें हिंदी सिखाई थी’ ऐसा कसाब ने कहा था| जुंदाल को सन २०१२ में सौदी अरब की एजन्सियों ने गिरफ़्तार करते हुए भारत के हवाले कर दिया था|
इस मामले में सन २०१३ में कुल २२ दोषियों के खिलाफ़ आरोप दाखिल किये गये| इससे पहले सन २००९ में एक दोषी ने, मकोका के तहत चल रहे इस मुकदमे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी| उसपर हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने, मकोका अदालत में इस मुक़दमे को स्थगित किया था| इसलिए इस मामले की सुनवाई विलंबित हुई थी|
इस मुकदमें में, सरकारी वकील ने अब तक सौ से भी अधिक गवाह मकोका अदालत में पेश किए| इनमें से केवल १६ गवाहों की प्रतिपक्ष द्वारा विरुद्ध छानबीन की गयी| दोनो तरफ़ की दलीलें पूरी हो जाने के बाद, मकोका अदालत ने १२ लोगों को दोषी ठहराया और आठ लोगों को रिहा कर दिया| वहीं, एक दोषी अभी तक फरार है, वह पकड़ा जाने के बाद उसपर अलग से मुकदमा चलाया जाएगा| शुक्रवार को अदालत इन दोषियों की सज़ा का ऐलान करने वाली है |

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