‘क्वाड’ यह ‘एशियन नाटो’ होने का आरोप यानी ‘माईंड गेम’ – भारत के विदेश मंत्री का दावा

नई दिल्ली – इंडो-पैसिफिक के गठन के द्वारा, हम शीतयुद्ध के दौर से बाहर आने का संदेश दिया जा रहा है, शीतयुद्ध शुरू होने का नहीं, ऐसा भारत के विदेश मंत्री कहा है। भारत-अमरीका-जापान-ऑस्ट्रेलिया का, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बन रहा क्वाड संगठन यानी ‘एशियन नाटो’ होने का आरोप रशिया द्वारा किया जा रहा है। उसे भारत के विदेश मंत्री ने यह उत्तर दिया। उसी समय, भारत केवल ईडन की खाड़ी और मलक्का की खाड़ी तक ही सीमित नहीं रहेगा, भारत का प्रभाव इससे परे होनेवाले क्षेत्र में भी बढ़ेगा यह इंडो-पैसिफिक का अर्थ है, यह विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया। उसी समय, क्वाड यह एशियन नाटो है, यह आरोप यानी ‘माइंड गेम’ होने का दोषारोपण विदेश मंत्री जयशंकर ने किया है।

रशिया के भारत में नियुक्त राजदूत निकोलाय कुडाशेव्ह ने पश्चिमी देशों की इंडो-पैसिफिक नीति की आलोचना की थी। बुधवार को माध्यमों से बातचीत करते हुए कुडाशेव्ह ने, यह बहुत ही घातक ऐसा शीतयुद्धकालीन मानसिकता का खेल है, ऐसा जताया था। इसके पीछे पश्चिमी देश हैं, यह बताकर उन्होंने हालांकि भारत को जिम्मेदार ठहराना टाला सही, लेकिन भारत क्वाड में सक्रिय होने के कारण पश्चिमियों के इस खेल में भारत भी सहभागी हुआ होने का अप्रत्यक्ष आरोप रशियन राजदूत द्वारा किया जा रहा है। उससे पहले रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लॅव्हरोव्ह ने भी अपने भारत दौरे में, मैंने ‘एशियन नाटो’ के बारे में चर्चा सुना है, ऐसा सूचक बयान किया था। इससे यही दिख रहा है कि भारत के क्वाड में सहभागी होने पर रशिया द्वारा अलग-अलग मार्गों से नाराज़गी और ऐतराज़ दर्ज़ किए जा रहे हैं।

नई दिल्ली में शुरू हुई भारत की ‘रायसेना डायलॉग’ सुरक्षा विषयक परिषद में बात करते समय विदेश मंत्री जयशंकर ने इन ऐतराज़ों को जवाब दिया। फ्रान्स और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री भी इस परिषद में सहभागी हो रहे हैं। इस समय बात करते हुए जयशंकर ने यकीन दिलाया कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का गठन यानी शीत युद्ध नए से शुरू करने की कोशिशें नहीं हैं। बल्कि शीतयुद्ध से बाहर निकलकर दुनिया आगे बढ़ रही होने का संदेश इसके द्वारा दिया जा रहा है, ऐसा दावा जयशंकर ने किया। ‘एशियन नाटो’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके कुछ लोग ‘माईंड गेम’ यानी मानसिक दबाव का खेल होली का दोषारोपण जयशंकर ने किया। राष्ट्रीय हित, इस क्षेत्र का हित और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर का हित, मद्देनज़र रखकर क्वाड के सदस्यदेश एक साथ आ रहे हैं। यह हित साध्य करने का एक मार्ग यानी क्वाड का संगठन है, ऐसा दावा भारत के विदेश मंत्री ने किया।

भारत द्वारा यह खुलासा किया जा रहा है कि तभी नाटो के प्रमुख जीन स्टोल्टनबर्ग ने बहुत ही महत्वपूर्ण बयान किया है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत यह मध्यवर्ती भूमिका अदा करने वाला देश होने का दावा स्टोल्टनबर्ग ने किया। रायसेना डायलॉग को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते समय स्टोल्टनबर्ग ने किया यह दावा गौरतलब साबित हो रहा है। सिर्फ इंडो-पैसिफिक ही नहीं, बल्कि जागतिक स्तर पर भी भारत यह बहुत ही महत्वपूर्ण देश है। संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना के लिए भी भारत ने बहुत बड़ा योगदान दिया है, इसकी भी याद स्टोल्टनबर्ग ने करा दी। साथ ही, सन २०२३ में जी-२० परिषद का भारत ‘होस्ट’ है, यह भी इस समय नाटो के प्रमुख ने आगे कहा।

बता दें, रशिया जैसे मित्र देश द्वारा भारत पर, एशियन नाटो में सहभागी होने का ऐतराज़ जताया जाना और उसे भारत ने मुँहतोड़ जवाब देना, यह गौरतलब बात साबित होती है। चीन की आक्रामकता बढ़ रही है, ऐसे में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का संतुलन खतरे में पड़ गया है। इस क्षेत्र के सामने चीन के विस्तारवाद का भयंकर संकट खड़ा है। उसे प्रत्युत्तर देने के लिए क्वाड के सहयोग की आत्यंतिक आवश्यकता है। इतना ही नहीं, बल्कि क्वाड से भी परे जानेवाले क्वाड प्लस की माँग यानी क्वाड में अन्य देशों का भी समावेश करने की माँग आगे आ रही है।

इस क्वाड प्लस के लिए फ्रान्स, ब्रिटेन ये युरोपीय देश तथा साऊथ कोरिया, कनाडा इन देशों का भी विचार शुरू होने के दावे किए जाते हैं।

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