‘साउथ चायना सी’ के मुद्दे पर ‘आसियन’ देश आक्रामक

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरकौलालंपूर/हनोई/बीजिंग: चीन से ‘नाईन डैश लाईन’ के अंतर्गत आनेवाले ‘साउथ चायना सी’ के समुद्री क्षेत्र पर दावा करना हास्यास्पद है, यह सीधा इशारा मलेशिया के विदेशमंत्री ने दिया है| मलेशिया का यह इशारा ‘साउथ चायना’ सी के मुद्दे पर आग्नेय एशिया के ‘आसियन’ देशों की आक्रामकता का हिस्सा होने की बात कही जा रही है| मलेशिया के अलावा वियतनाम एवं फिलिपाईन्स ने भी ‘साउथ चायना सी’ के मुद्दे पर अपना दावा डटकर रखने की तैयारी शुरू की है| ‘आसियन’ देशों की यह एकता चीन को मुश्किलों में फंसानेवाली साबित हो सकती है, यह संकेत विश्‍लेषकों ने दिए है|

साउथ चायना सी’ का समुद्री क्षेत्र खनिजों की खदानों से भरा होने का दावा होता है| पर्शियन खाडी के बाद सबसे अधिक समुद्री व्यापारी यातायात होनेवाले क्षेत्र के तौर पर भी ‘साउथ चायना सी’ अहम है| पिछले कुछ वर्षों से चीन ‘साउथ चायना सी’ के ९० प्रतिशत से भी अधिक क्षेत्र पर अपना सार्वभूम अधिकार होने का दावा कर रहा है| चीन ने इस क्षेत्र में कई कृत्रिम द्विपों का निर्माण करके वहां पर सेना की तैनाती भी की है|

वर्ष २०१६ में फिलिपाईन्स ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में ‘साउथ चायना सी’ पर चीन ने किए दावे को चुनौती दी थी| इस मामले में निर्णय फिलिपाईन्स के पक्ष में प्राप्त होने के बावजूद चीन ने यह निर्णय स्वीकार ने से इन्कार करके अपना दावा आगे भी रखना बरकरार रखा है| इसके बाद इस समुद्री क्षेत्र का हिस्सा होनेवाले देशों को जबरन एवं लष्करी ताकत के बल पर दबाने की कोशिश चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत कर रही है| पर इन कोशिशों के विरोध में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख देश आक्रामकता दिखा रहे है और इस वजह से चीन को ‘साउथ चायना सी’ पर नियंत्रण प्राप्त करना मुमकिन नही हुआ है|

इस पृष्ठभूमि पर चीन ने अब बातचीत और समझौते के जरिए ‘आसियन’ देश अपना दावा स्वीकार करें, इश दिशा में कोशिश शुरू की है| पर, चीन का आक्रामक रवैया एवं पीछे ना हटने की नीति से अवगत ‘आसियान’ देशों ने आक्रामक रवैया अपनाया है| इसी के हिस्से के तौर पर मलेशिया ने भी संयुक्त राष्ट्र के ‘लिमिटस् ऑफ द कॉन्टिनेन्टल शेल्प’ आयोग के सामने ‘साउथ चायना सी’ के मुद्दे पर अपना दावा पेश किया है| चीन ने इससे पहले फिलिपाईन्स के मुद्दे पर हुआ निर्णय ठुकराया होने से अवगत होे के बावजूद यह दावा दाखिल करना दबाव बनाने की कोशिश समझी जा रही है|

इसी बीच ‘आसियान’ के अन्य सदस्य देशों में से वियतनाम एवं फिलिपाईन्स में भी आक्रामक गतिविधियां शुरू हुई है| वियतनाम की सरकार ने रक्षा के मुद्दे पर ‘व्हाईट पेपर’ जारी किया है और इसमें ‘साउथ चायना सी’ के मुद्दे को प्राथमिकता दर्शायी है| चीन ने शुरू की हुई एकतरफा गतिविधियां एवं पडोसी देशों पर दबाव बनाने के लिए हो रही कोशिशों का जिक्र इस ‘व्हाईट पेपर’ में किया गया है| चीन की यह हरकतें वियतनाम की सार्वभूमता को चुनौती देनेवाली है और इसपर प्रत्युत्तर देने की जरूरत होने की चेतावनी भी दी गई है|

फिलिपाईन्स ने चीन के साथ सहयोग बनाने की नीति स्वीकारने का रवैया दिखाया है, पर सुरक्षा के मुद्दे पर समझौता करने से स्पष्ट इन्कार किया है| चीन की नौसेना फिलिपिनी मछवारों को दे रही तकलीफ पर ध्यान देकर राष्ट्राध्यक्ष रॉड्रिगो दुअर्ते ने तटरक्षक बल की कार्यक्षमता में बढोतरी करने का निर्णय किया है| पिछले पांच वर्षों में फिलिपाईन्स के तटरक्षक बल में अतिरिक्त २५ हजार सैनिकों को दाखिल करने की प्रक्रिया हो रही है, यह जानकारी सूत्रों ने दी|

आसियान’ के अहम इंडोनेशिया ने चीन के विरोध में अभी सीधा भूमिका अपनाई नही है, पर जरूरत पडने पर ‘आसियान’ के सदस्य देशों का समर्थन करने के संकेत दिए है| साथ ही चीन के दबाव की बलि ना होने की बात भी स्पष्ट की है| चीन ने वर्ष २०२१ तक ‘साउथ चायना सी’ के मुद्दे पर समझौता करने की गतिविधियां शुरू की है| पर, ‘आसियान’ के प्रमुख देशों ने अपनी आक्रामकता बरकरार रखने पर चीन की चुनौती और भी बढ सकती है, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे है|

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