अमरिका की यूरोप मे होनेवाली परमाणु हथियारे आतंकवादियों के हाथ लग सकती है- अमरिका के लष्करी अभ्यास समूह की रिपोर्ट

वॉशिंग्टन: यूरोप में तैनात १५० परमाणुओं के अद्यतन के लिए अरबों डॉलर्स खर्च करने की घोषणा अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने की है। लेकिन यह परमाणु अमरिका के लिए परेशानी साबित हो रहे हैं और शीतयुद्धकालीन इन परमाणुओं के अद्यतन के बाद भी यह बिना काम के साबित होंगे। इन परमाणुओं को आतंकवादी हमले का खतरा होने का इशारा अमरिका के लष्करी अभ्यासगुट ने दिया है।

ओबामा प्रशासन के समय ऊर्जामंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने वाले अर्नेस्ट मोनीझ, सिनेट के डेमोक्रेटिक पार्टी के भूतपूर्व सिनेटर सॅम नन और टेड टर्नर ने ’बिल्डिंग ए सेफ, सिक्युर एंड क्रेडिबल नाटो न्यूक्लिअर पोश्चर’ यह रिपोर्ट बनायी है। अमरिका के प्रमुख ‘न्यूक्लिअर थ्रेट इनिशिएटिव’ (एनटीआय) इस लष्करी अभ्यास समूह के लिए बनायी गयी इस रिपोर्ट में राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की परमाणु नीति पर भी टीका की गयी है।

कुछ दिनों पहले राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अमरिका की रक्षा नीति घोषित की थी। इस रक्षा नीति में अमरिका ने शीतयुद्ध काल में मित्र देशों में तैनात किए परमाणुओं के अद्यतन के लिए करीब १० अरब डॉलर्स का प्रावधान किया है। इस में यूरोप, खाड़ी, एशियाई देशों में तैनात परमाणुओं का समावेश है। इस में से यूरोप के इटली, नेदरलैंड, बेल्जियम, जर्मनी और तुर्की इन देशों में अमरिका ने १५० ‘बी६१’ परमाणु तैनात किए हैं।

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अमरिका ने सन १९६८ में यूरोप में स्थित अपने मित्र देशों में सर्वप्रथम परमाणु तैनात करना शुरू किया था। सोविएत रशिया की आक्रामकता से अपने यूरोपीय देशों की सुरक्षा के लिए यह परमाणु की तैनाती है, ऐसा अमरिका के तत्कालीन प्रशासन ने स्पष्ट किया था। पिछले कयी दशकों से इन परमाणुओं की तैनाती पर कोई भी परिणाम नहीं हुआ था। इस में से अकेले तुर्की के ‘इन्सर्लिक’ हवाई अड्डे पर अमरिका ने यूरोप के सर्वाधिक ५० परमाणु तैनात किए हैं। तुर्की के इन परमाणुओं पर अमरिका और नाटो का नियंत्रण है।

लेकिन, ‘एनटीआय’ ने प्रसिद्ध की रिपोर्ट में यूरोपीय देशों में स्थित शीतयुद्धकालीन यह परमाणु अमरिका के लिए  परेशानी बन गए हैं, ऐसा कहा है। तुर्की के साथ अन्य यूरोपीय देशों में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ते आतंकवादी हमले अमरिका के परमाणुओं के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं, ऐसा इशारा इस रिपोर्ट के माध्यम से दिया गया है।

सन २०१६ में तुर्की में राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के खिलाफ असफल बगावत हुई थी। उस समय इन्सर्लिक में अमरिका के परमाणुओं की सुरक्षा खतरे में पड़ी थी, इस की याद ‘एनटीआय’ ने कर के दी। इन्सर्लिक हवाई अड्डे के कमांडर एर्दोगन के खिलाफ बगावत में शामिल हुए थे,  यह स्पष्ट होने के बाद इस हवाई अड्डे की बिजली की आपूर्ति खंडित की गयी थी। उस वजह से अमरिका के परमाणु निरुपयोगी बन गए थे, ऐसा भी ‘एनटीआय’ ने स्पष्ट किया है। उसी के साथ ही यह परमाणु आतंकवादियों के हाथ लगने की चिंता भी व्यक्त की गयी थी।

यूरोप में तैनात अमरिका के परमाणु आतंकवादियों के हाथ लग गए तो  बड़ा संकट निर्माण होगा, ऐसा इशारा ‘एनटीआय’ ने दिया है। इस के अलावा सदर परमाणुओं की सुरक्षा दुर्घटना, लापरवाही अथवा अन्य कारणों से भी खतरे में आ सकती है, ऐसा इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। इस वजह से ट्रम्प प्रशासन यूरोप में तैनात इन परमाणुओं के अद्यतन पर  अरबों डॉलर्स खर्च न करे, ऐसा एनटीआय ने सुझाव दिया है।

दौरान, पिछले महीने में राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने ‘न्यूक्लिअर पोश्चर रिव्यु’ घोषित करने के बाद भी इस पर जोरदार टीका हुयी थी। अमरिका के प्रतियोगी देश रशिया और चीन परमाणुओं की संख्या बढा रहे हैं ऐसे में अमरिका ने परमाणुओं की संख्या में कटौती करना खतरनाक साबित हो सकता है, ऐसा इशारा ट्रम्प ने दिया था। लेकिन अमरिकन सिनेट के डेमोक्रेट और ट्रम्प की पार्टी के कुछ रिपब्लिकन सिनेटर इस मत से सहमत नहीं थे।

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