सीरिया में अमरिका के सैनिकों की जगह अरब देशों के संयुक्त लष्कर ने लेनी चाहिए – अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प

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वॉशिंग्टन: सीरिया में अमरिका की लष्करी तैनाती की अवधि बढ़ रही है और इसके लिए बहुत निधि खर्च हो रहा है। इसपर राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने चिंता व्यक्त की है। ‘सीरिया की जिम्मेदारी को अरब देशों का संयुक्त लष्कर स्वीकारे और इसके लिए निधि भी उपलब्ध कराए’, ऐसा आवाहन अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने किया है।

ट्रम्प का यह आवाहन सीरिया के बारे में अमरिका की नई नीति का संकेत दे रहा है। यह योजना वास्तव में लाने के लिए अमरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद पर चुने गए जॉन बोल्टन काम कर रहे हैं, ऐसा कहा जाता है। बोल्टन ने इस सन्दर्भ में सऊदी अरेबिया, संयुक्त अरब अमिरात, कतार और इजिप्त इन देशों के साथ चर्चा शुरू की है।

पिछले हफ्ते में अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने सीरिया से सेना हटाने के संकेत दिए थे। लेकिन ट्रम्प के साथ चर्चा करके सीरिया से सेना को न हटाने के लिए ट्रम्प को मनाने का दावा फ़्रांस के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने किया था। सीरिया में अमरिका की तैनाती महत्वपूर्ण है, ऐसा मैक्रॉन ने कहा था। लेकिन सीरिया में अरब देशों का संयुक्त लष्कर होना चाहिए और सीरिया की मुहीम का खर्चा भी अरब देशों ने ही करना चाहिए, ऐसी ट्रम्प की भूमिका है।

ट्रम्प की इस भूमिका की पुष्टि करके कुछ दिनों पहले सऊदी अरेबिया के ‘क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान’ ने सीरिया के संघर्ष में व्यापक भूमिका स्वीकारने की घोषणा की थी। इस वजह से अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष की माँग के अनुसार अरब देश सीरिया में लष्करी भूमिका अपनाने के लिए तैयार हैं, ऐसा दिखाई दे रहा है।

दौरान, सीरिया में ‘आईएस’ का प्रभाव कम हुआ है, लेकिन अमरिकी सेना पीछे हटने के बाद ‘आईएस’ और अन्य आतंकवादी संगठन फिरसे सीरिया में कार्यरत हो सकते हैं। ऐसी चिंता लष्करी विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं। अमरिका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष ओबामा ने इराक से सेना हटाई और इस देश में ‘आईएस’ का उदय हुआ, इसका प्रमाण लष्करी विश्लेषक दे रहे हैं।

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