९८. वैकल्पिक जलस्रोत

इस्रायल ने अथक परिश्रमों से और संशोधन से, उत्तरी इस्रायलस्थित जलाशयों से दक्षिणी इस्रायल तक पानी पहुँचाकर शुरुआती दौर में जलसमस्या पर नियंत्रण तो पा लिया; लेकिन दिनबदिन बढ़ती हुई जनसंख्या को मद्देनज़र करते हुए और उसीके साथ इस्रायली समाज को हो रही प्रगति को देखते हुए पानी का विनियोग दिनबदिन बढ़ता ही जानेवाला था, यह स्पष्ट था| इस कारण से, इस्रायल का प्रमुख जलस्रोत होनेवाला गॅलिली सरोवर और बरसात जैसे पारंपरिक स्रोत भविष्य में पर्याप्त पड़नेवाले नहीं थे, यह इस्रायली संशोधकों के ध्यान में आ गया था|

इस्रायल के उत्तरी भाग से बहती आ रही जॉर्डन नदी

उसीके साथ, जागतिक तापमानवृद्धि (ग्लोबल वॉर्मिंग) के संकट के कारण इस्रायल का पर्जन्यमान भी कम होता चला जा रहा था और यह गॅलिली सरोवर, इस्रायल में उत्तरी दिशा से बनते आनेवाली जिस जॉर्डन नदी के मार्ग में है, वह जॉर्डन नदी भी गत कुछ वर्षों में सूखती चली जा रही नज़र आ रही थी| इसलिए ङ्गिर संभाव्य वैकल्पिक जलस्रोतों पर विचार शुरू हुआ|

इस्रायल की राष्ट्रीय जलआपूर्ति कंपनी – ‘मेकेरॉट’, जिसके अधिकार में इस्रायल की पूरी ‘नॅशनल वॉटर कॅरियर’ यंत्रणा आती है, वही इस्रायल के जलव्यवस्थापन का नियोजन करती है| इस नॅशनल वॉटर कॅरियर के निर्माण के साथ ही वैकल्पिक जलस्रोत ढूँढ़ने की दिशा में समग्र संशोधन किया गया|

इस्रायल की राष्ट्रीय जलआपूर्ति कंपनी – ‘मेकेरॉट’, जिसके अधिकार में इस्रायल की पूरी ‘नॅशनल वॉटर कॅरियर’ यंत्रणा आती है, वही इस्रायल के जलव्यवस्थापन का नियोजन करती है|

भूगर्भजल का अधिक अच्छी तरह से विनियोग, ज़ाया जानेवाले पानी का ख़ेती और इन्डस्ट्री के लिए पुनर्विनियोग और समुद्र के खारी पानी पर प्रक्रिया कर उसे पीनेलायक बनाना, ये वैकल्पिक जलस्रोतों में से प्रमुख स्रोत संशोधकों को दिखायी दे रहे थे|

शुद्ध पानी का (यानी बरसात, गॅलिली सरोवर का पानी और पश्‍चात् के दौर में समुद्र से प्राप्त किया गया पीनेलायक पानी इनका) विनियोग पीने के लिए और बाक़ी के जलस्रोतों से प्राप्त हुए पानी का विनियोग उचित प्रक्रिया के बाद ख़ेती और इन्डस्ट्री के लिए, ऐसी आम तौर पर नीति अपनायी गयी|

सबसे अहम बात, इन सभी पर्यायी स्रोतों के कारण, पानी की उपलब्धता के लिए कुदरत पर निर्भर रहना कम किया गया| अब पीने के लिए केवल बरसात पर निर्भर न होने के कारण, किसी वर्ष यदि बरसात नहीं हुई, तो भी उसका पानी की उपलब्धता पर उतना असर नहीं होगा| अन्य पर्यायी स्रोतों में से पानी उपलब्ध करा देनेवाली यंत्रणा विकसित की गयी है|

इन वैकल्पिक स्रोतों में ‘भूगर्भजल’ यह महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है| इस्रायल के लिए उपलब्ध होनेवाले भूगर्भजल के जलाशय प्रायः दो श्रेणियों में विभाजित किये जा सकते हैं – पहाड़ी ज़मीन के नीचे होनेवाले जलाशय (‘माऊंटन ऍक्विफर’) और किनारी भाग के नीचे होनेवाले जलाशय (‘कोस्टल ऍक्विफर’)| इनके अलावा गॅलिली की घाटी में और नेगेव्ह के रेगिस्तान में भी छोटे-बड़े भूगर्भजल के जलाशय हैं| इन सबमें मिलकर – बारिश, रिसाव, कारखानदारी-ख़ेती में से जाया होनेवाला पानी, साथ ही समुद्र में से प्रविष्ट होनेवाला पानी इनके माध्यम से १७५ करोड़ घनमीटर से भी अधिक पानी जमा होता है| ये भूगर्भजल के जलाशय यानी मानो एक प्रकार से इस्रायल के जलसंग्रह केंद्र ही हैं|

यह ज़रासा नमकीन (‘ब्रॅकिश’) होनेवाला भूगर्भजल, प्रक्रिया करने के बाद भी, ख़ेती के लिए उपयोग में लाते समय पहले संशोधन किया गया कि क्या यह पानी पेड़-फ़सल सह सकेंगे, इनपर कौनसीं फ़सलें ली जा सकती हैं, आदि| उसमें से फिर कई आश्‍चर्यकारी निष्कर्ष बाहर आने लगे – उदाहरणार्थ, यह पानी दिये हुए कई फलवृक्षों में अधिक दाब निर्माण होकर उन्होंने अधिक मीठे फल दिए| इस प्रकार के संशोधन में से ही इस्रायली कृषिउत्पादन सरस दर्जे के साबित हुए, जिन्हें सारी दुनियाभर में अच्छीख़ासी मॉंग होती है|

इस्रायली संशोधकों ने ग़ौर किया हुआ पानी का दूसरा वैकल्पिक (आल्टरनेट) स्रोत यानी ख़ेती और कारखानदारी में जाया हुए पानी (वेस्टवॉटर) का पुनः इस्तेमाल करना|

इस क्षेत्र में इस्रायल ने अक्षरशः नेत्रदीपक प्रदर्शन कर दिखाया है| जाया होनेवाले पानी में से लगभग ८५-९० प्रतिशत पानी का पुनः उपयोग कर इस्रायल इस क्षेत्र में ‘जागतिक नेता’ बन चुका है| दूसरे नंबर पर स्पेन है, जो केवल २० प्रतिशत वेस्टवॉटर का पुनर्उपयोग करता है, इतनी बड़ी बढ़त इस्रायल ने इस क्षेत्र में हासिल की है| इस्रायल के लिए होनेवाला इसका महत्त्व जानकर, इस क्षेत्र में अधिक से अधिक अत्याधुनिक संशोधन करनेवालीं कई स्टार्टअप कंपनियॉं इस्रायल में निर्माण हो रहीं हैं, जिनके संशोधन का केवल इस्रायल को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को ही उपयोग हो रहा है|

रेगिस्तानी प्रदेशस्थित ऐलात में बना ‘डिसलाईनेशन’ प्लँट

यह पुनःप्रक्रिया किया हुआ पानी हालॉंकि पीनेलायक नहीं होता, लेकिन फ़सल को तथा पेड़ों को जितनी अशुद्धता चल सकती है, उतने पड़ाव तक उसे शुद्ध किया होता है| इसी कारण इस पुनःप्रक्रिया किये हुए पानी का इस्तेमाल प्रायः खेती के लिए और कारखानदारी के लिए होता है| इसमें से थोड़े पानी का इस्तेमाल, आग बुझाने जैसे काम करने के लिए भी किया जाता है| इस कारण शुद्ध पानी इसके लिए खर्च नहीं होता, वह केवल पीने हेतु ही उपलब्ध रह सकता है|

ऐसे ही एक और पानी के वैकल्पिक स्रोत पर संशोधकों ने ध्यान केंद्रित किया, वह था समुद्र का पानी| दुनियाभर में जो ७०% पानी है, उसमें ९५% से भी अधिक समुद्र का हिस्सा है| ऐसे प्रचुरता से उपलब्ध होनेवाले समुद्र के पानी से पीनेलायक पानी तैयार करना, यह संकल्पना बहुत पहले से दुनिया के विभिन्न प्रदेशों के लोगों के दिमाग में थी, वैसे प्रयास भी हुए| लेकिन छोटे पैमाने पर करते हुए यह प्रक्रिया बहुत ही खर्चीली साबित होने के कारण उन प्रयासों को छोड़ देना पड़ा|

लेकिन इस्रायल को जो नज़र आये, उस हर एक जलस्रोत को आज़माने के अलावा और कोई चारा ही नहीं था| इसलिए इस दिक्कत का पहली बार गंभीरतापूर्वक विचार हुआ, वह इस्रायल में ही| इस्रायल के पहले प्रधानमंत्री डेव्हिड बेन-गुरियन की दूरदृष्टि के कारण, समुद्र के पानी से पीनेलायक पानी का निर्माण करने के इस क्षेत्र के संशोधन को प्रोत्साहन मिला| धीरे धीरे, अलग अलग संशोधन कर, नये नये तंत्रज्ञान की खोज करते हुए, खर्चा कम करते हुए, ईंधन का इस्तेमाल घटाते हुए यह संशोधन सफल हुआ| कुछ ही सालों में, पूरी इस्रायली जनता के पीने के पानी की ज़रूरत में से ५०% से भी अधिक ज़रूरत इस मार्ग से पूरी करने का इस्रायल का लक्ष्य है| इस क्षेत्र की इस्रायल की अग्रसर कंपनी ‘इस्रायल डिसलायनेशन इंजिनियरिंग’ को अब, इस तरह – समुद्र के पानी से पीनेलायक पानी बनाने के प्लँट्स का निर्माण करने के लिए दुनियाभर से ऑर्डर्स आना शुरू हो चुका है|

साथ ही, बरसात के दिनों में नदी को आये हुए ‘फ्लॅश फ्लड्स’ (अचानक तेज़ रफ़्तार से आनेवाली बाढ़) का पानी मोड़कर उसे संग्रहित करने के लिए भी इस्रायल में बॉंध (डॅम्स), संग्रहनकेंद्र आदि का निर्माण किया गया है|

अचानक आनेवाली बाढ़ (फ्लॅश फ्लड) का पानी मोड़कर संग्रहित करने की यंत्रणा भी इस्रायल में विकसित की गयी है|

इस प्रकार इन सभी वैकल्पिक जलस्रोतों को इस्रायली संशोधक आज़मा रहे हैं| इस सारे समग्र जलनियोजन के कारण ही, अकाल के दौर में भी पानी की कमी को मात देना इस्रायल के लिए संभव हो सका| लेकिन सबसे अहम बात यानी, इन सारी बातों के साथ ही, इस्रायली सरकार द्वारा इस्रायली जनता का – ‘पानी तथा उसका मितव्ययिता से इस्तेमाल’ इस विषय पर प्रबोधन भी चालू रहा है| कभी प्रबोधन, तो कभी स़ख्ती ऐसे विभिन्न उपायों को सफलता प्राप्त होकर – ‘पानी’ यह हमारे लिए सबसे क़ीमती चीज़ है और उसे ज़रा भी ज़ाया करना हमारे लिए बहुत महँगा साबित होगा, यह इस्रायली जनता के जद्दोजहन में पक्का हुआ है|

….दरअसल उसी के कारण बाक़ी सारे उपाय सफल होते दिखायी दे रहे हैं!(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

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