‘एआयडीसी’ की निधि का इस्तेमाल कृषि से जुड़ी सुविधाओं के विकास के लिए किया जाएगा – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन

नई दिल्ली – कुछ वस्तुओं पर लगाए गए ‘ऍग्रीकल्चर इन्फ्रस्ट्रक्चर अँड डेव्हलपमेंट सेस-एआयडीसी’ से मिलने वाली राजस्व का इस्तेमाल उसी क्षेत्र से जुड़ीं बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए किया जाएगा। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने इस बात का यकीन दिलाया। इस सरचार्ज से मिलने वाली निधि की आपूर्ति कृषि क्षेत्र के विकास के लिए राज्यों को की जाएगी, ऐसा कहा गया है। सन २०२१-२२ के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री सीतारामन ने इस ‘एआयडीसी’ की घोषणा की थी।

‘एआयडीसी’

कुछ वस्तुओं पर सीमा शुल्क कम हुआ है। उसके स्थान पर एआयडीसी लागू किया गया है। लेकिन उसका बोझ ग्राहकों पर ना पड़ें, इसके भी एहतियात बरते गए हैं। कृषि से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं के विकास को बढ़ावा देने की बहुत बड़ी जरूरत पैदा हुई है। इसके लिए देश के कृषि क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का विकास करना आवश्यक है। इसके लिए लगने वाली निधि की आपूर्ति एआयडीसी में से की जाएगी।

यदि इन बुनियादी सुविधाओं का विकास हुआ, तो कृषि उत्पादन बढ़ेगा। यह विकास करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। इसके लिए आवश्यक रहने वाली निधि का प्रबंध एआयडीसी में से किया जाएगा और उसे राज्यों तक पहुंचाया जाएगा, ऐसा सीतारामन ने स्पष्ट किया। केंद्रीय बजट घोषित करते समय वित्त मंत्री ने कृषि से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं का विकास और कृषि माल के संग्रहण के लिए शीतगृह आदि पर विशेष जोर दिया जाएगा, ऐसा घोषित किया था।

पेट्रोल पर प्रति लीटर २.५ और डीजल पर चार रुपये इतना एआयडीसी सरचार्ज लगाकर बड़े पैमाने पर निधि इकट्ठा करने की घोषणा केंद्रीय बजट में की गई थी। लेकिन इसका बोझ ग्राहकों पर ना पड़े, इसके लिए भी खास एहतियात बरते गए हैं । मद्य, सोना और चांदी, कच्चा पामतेल, सोयाबीन तेल इनके साथ अन्य भी कुछ उत्पादों पर एआयडीसी लागू किया गया है।

कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए, साथ ही, मार्केट तक उसका वहन तथा संग्रहण का प्रबंध, इनके लिए आवश्यक सुविधाओं पर केंद्र सरकार ने ध्यान केंद्रित किया है। इसके लिए बड़े पैमाने पर निधि की आवश्यकता थी। एआयडीसी के जरिए इस निधि का संपादन करने के लिए सन २०२१-२२ के बजट में किए गए प्रावधानों का कुछ अर्थ विशेषज्ञों ने स्वागत किया है। इससे कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, ऐसा विश्वास इन अर्थ विशेषज्ञों ने जाहिर किया है।

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