काबुल हमले के पीछे पाकिस्तान – अफगानी राजदूतों के संकेत

नई दिल्ली : काबुल में १० पत्रकारों के साथ २६ लोगों की जान लेने वाले आतंकवादी हमलों के पीछे पाकिस्तान होने के संकेत अफगानिस्तान के राजदूत ने दिए हैं। तथा आतंकवाद और चर्चा एक साथ नहीं हो सकती इस भारत के भूमिका को समर्थन देते हुए पाकिस्तान में सार्क परिषद का आयोजन करने के लिये उन्होंने विरोध किया है। चीन के वुहान शहर में हुए हार्ट टू हार्ट परिषद में भारत और चीन ने अफगानिस्तान में एकत्रित परियोजना कार्यान्वित करने के विषय में लिये निर्णय का अफगानिस्तान के राजदूत ने स्वागत किया है।

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दिल्ली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए अफगानिस्तान के भारत में स्थित राजदूत शाहिद अब्दाली ने पाकिस्तान पर तोंफ दागी है। हफ्ते भर पहले अफगानिस्तान के काबुल शहर में दो भीषण आत्मघाती हमले हुए थे। इस में १० पत्रकारों की जान गई थी। इनमें कई लोग अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्था के लिए काम कर रहे थे। इन हमलो पर प्रतिक्रिया दुनिया भर से उमड़ रही थी। इसी दौरान इन हमलों की जिम्मेदारी आयएस ने स्वीकारी थी। भले ही इस हमले की जिम्मेदारी आयएस ने स्वीकारी है, फिर भी उसके पीछे कोई और होने की आशंका अब्दाली ने व्यक्त की है। तभी अफगानी राजदूत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने के स्पष्ट संकेत दिखाये हैं। अफगानिस्तान में आनेवाले आतंकवादी किस सीमा मार्ग से दाखिल होते हैं, यह सभी जानते हैं। आतंकवादियों को समर्थन देने वाली इस शक्ति के विरोध में सब एकसाथ आने की आवश्यकता अब्दाली ने जताई है।

उस समय सार्क परिषद पाकिस्तान में होगी या नहीं होगी यह पाकिस्तान पर निर्भर हैं। आतंकवाद और चर्चा एक साथ नहीं हो सकती ऐसा भारत ने पाकिस्तान को इससे पहले सूचित किया था। सार्क यह अच्छी संघटना होकर इस क्षेत्र में सभी देशों के भले का काम करती है। पर फिर भी आतंकवाद और चर्चा एक साथ नहीं हो सकती, ऐसा कहकर अफगानिस्तान के राजदूत ने सार्क परिषद पाकिस्तान में ना करने की बात कहते हुए भारत की भूमिका को समर्थन दिया है।

कुछ दिनों पहले नेपाल ने पाकिस्तान में सार्क परिषद के लिए समर्थन दिया था और सभी सार्क सदस्य देशों को यह परिषद आयोजित करने का विचार करें, ऐसा आवाहन किया था। इस पृष्ठभूमि पर अब्दाली ने सार्क के सदस्य देश होनेवाले अफगानिस्तान की भूमिका स्पष्ट की है।

उस समय अफगानी राजदूत ने भारत और चीन ने अफगानिस्तान में सहयोग से प्रकल्प कार्यान्वित करने के निर्णय का स्वागत किया है। भारत में ईरान में निर्माण किए छाबर बंदरगाह की वजह से पाकिस्तान को दूर करते हुए मध्य एशियाई देशों के तक जाने का मार्ग खुला है। चीन और भारत ने अफगानिस्तान में सहयोग से काम करने की घोशित की हुई धारणा अफगानिस्तान के लिए फायदेमंद ठहरेगी ऐसा उन्होंने कहा है।

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