‘अर्जुन टैंक’ की प्रगत आवृत्ति सेना में दाखिल होगी – ‘अर्जुन मार्क-१ए’ का आखिरी परीक्षण पुरा हुआ

जैसलमेर – भारत के स्वदेशी ‘अर्जुन’ टैंक की प्रगत आवृत्ति ‘अर्जुन मार्क-१ए’ सेना के बेड़े में शामिल करने का रास्ता खुल गया है। बीते कुछ दिनों से राजस्थान स्थित पोखरण में ‘अर्जुन’ की इस प्रगत आवृत्ति का आखिरी परीक्षण हो रहा था। यह परीक्षण कामयाब होने का वृत्त है। ‘हंटर किलर’ नाम से जाने जानेवाले इस टैंक की खरीद के लिए भारतीय सेना ने मार्च में माँग भी दर्ज़ की थी। सेना ने ११८ ‘अर्जुन मार्क-१ए’ टैंक खरीदने की तैयारी की है। लेकिन, सेना ने इस टैंक में कुछ बदलाव करने का सुझाव ‘डीआरडीओ’ को दिया था। इस बदलाव के बाद यह परीक्षण किए गए हैं और इस वजह से अब ‘अर्जुन’ टैंक की प्रगत आवृत्ति सेना के बेड़े में जल्द ही दाखिल होने के आसार बने हैं।

arjun-indiaचल लक्ष्य को सटिकता से निशाना करने के साथ ही रणभूमि पर लगाए गए सुरंग ढुँढकर उसे नाकाम करके आगे बढ़ने की क्षमता रखनेवाले ‘अर्जुन मार्क-१ए’ के सभी परीक्षण पुरे हुए हैं। ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) ने विकसित किए ‘अर्जुन’ टैंक वर्ष २००४ में भारतीय सेना के बेड़े में दाखिल किया गया था। इस टैंक की प्रगत आवृत्ति अब ‘अर्जुन मार्क-१ए’ के स्वरूप में ‘डीआरडीओ’ ने तैयार की है।

पुराने ‘अर्जुन’ टैंक में कुल ७२ बदलाव किए गए हैं। सेंसर यंत्रणा एवं अन्य प्रगत यंत्रणाओं से यह टैंक सज्जित किया गया है। इस प्रगत आवृत्ति का परीक्षण पूरा होने के बाद मार्च में सेना ने ११८ टैंकों की माँग दर्ज़ की थी। लेकिन, सेना ने इन टैंकों में बदलाव करने का सुझाव दिया था। इसके बाद सुरक्षा बलों की माँग के अनुसार अतिरिक्त १४ बदलाव करके ‘अर्जुन मार्ग-१ए’ टैंक का पोखरण में परीक्षण किया गया।

इस परीक्षण के दौरान ‘डीआरडीओ’ के अधिकारी, इस टैंक के आधुनिकीकरण एवं आवश्‍यक अनुसंधान के कार्य में शामिल विशेषज्ञ, सेना अधिकारी भी मौजूद थे। इन बदलावों के बाद ‘अर्जुन मार्क-१ए’ विश्‍व में सबसे घातक टैंकों में से एक है। यह टैंक स्वयंचलित टार्गेट ट्रैकिंग सिस्टम से लैस है। इस वजह से अपने लक्ष्य की स्वयं ही पहचान, फिर वह चल लक्ष्य होते हुए भी उसे सटीकता के साथ निशाना करने की क्षमता यह टैंक रखता है। साथ ही रणभूमि पर शत्रु ने लगाए सुरूंग हटाकर आगे बढ़ते रहने की क्षमता भी यह टैंक रखता है। कंधे से छोडी जानेवाली छोटी मिसाइल इस टैंक को नुकसान नहीं पहुँचा सकती, यह दावा भी किया जा रहा है।

दिन में या रात में, किसी भी समय युद्ध में इस टैंक का प्रभावी इस्तेमाल हो सकता है। इस टैंक पर विशेष सेंसर्स लगाए गए हैं और रासायनिक एवं परमाणु हमला होने पर अलार्म बजेगा और टैंक के अंदरुनि हिस्से में हवा का दबाव बढ़ेगा। इससे बाहर की हवा अंदर नहीं आ सकेगी और टैंक में मौजूद अधिकारी एवं सैनिकों की रक्षा होगी, यह जानकारी भी सामने आ रही है।

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