दुनिया में २५ करोड से अधिक लोग भीषण अन्नसंकट में – अंतरराष्ट्रीय गुट का अहवाल

Third World Warरोम: दुनिया में शुरू एवं तीव्र हो रहे संघर्ष, आर्थिक संकट एवं नैसर्गिक आपत्ति की वजह से पिछले वर्ष करीबन २५ करोड से अधिक लोगों को भीषण अन्नसंकट का सामना कनरा पडा, यह अहवाल अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी गुट ने रखा है| अफ्रीका और एशिया के आठ देशों में इसकी तादाद सबसे अधिक है और इसमें येमन, नाइजिरिया, सीरिया एवं अफगानिस्तान का समावेश है| वर्ष २०१९ में यह स्थिति और भी भीषण होगी एवं अनाज और? धान की कमी बडी मात्रा में महसूस होगी, यह डर भी इस अहवाल में व्यक्त किया गया है| साथ ही अन्नसंकट का इस्तेमाल हथियारों के तौर पर किया जा रहा है, यह चौकानेवाली बात भी इस अहवाल में दर्ज की गई है|

‘फूड सिक्युरिटी इन्फोर्मेशन नेटवर्क’ इस अंतरराष्ट्रीय संगठन ने दुनिया भर में बनी सुखे की स्थिति, मौसम में हो रहा बदलाव एवं अनाज में हो रही कमी के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करनेवाला अहवाल प्रसिद्ध किया है| ‘ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्रायसेस’ नाम से बनाए इस अहवाल में दुनिया के ९५ देशों में बनी स्थिति का अध्ययन किया गया है| इसमें वर्ष २०१८ के दौरान दुनिया में २५.६ करोड लोगों को अन्नसंकट का सामना करना पडा था, इसका एहसास कराया गया है|

दुनिया, २५ करोड, अधिक लोग, भीषण अन्नसंकट,  अंतरराष्ट्रीय गुट, अहवाल, रोमइस भीषण अन्नसंकट के लिए दुनिया भर में शुरू संघर्ष, नैसर्गिक आपत्ति एवं आर्थिक संकट जिम्मेदार साबित हुए है| दुनिया के कई हिस्सों में शुरू संघर्ष की वजह से करीबन सात करोड लोगों को अन्नसंकट की भीषण स्थिति का सामना करना पडा है और इनमें से ३.५ करोड लोग अफ्रिकी देशों से है| सूखा, बाढ, भूकंप जैसी नैसर्गिक आपत्तियों के कारण लगभग तीन करोड लोग भूखमरी का सामना कर रहे है, यह स्थिति इस अहवाल में रखी गई है| इसमें अफगानिस्तान के सुखे का खास तौर पर जिक्र किया गया है|

आर्थिक संकट की वजह से लगभग एक करोड से अधिक लोगों को जरूरी अनाज उपलब्ध हो नही सका है, यह कहकर इसमें सुदान, झिम्बाब्वे एवं बुरूंडी जैसे अफ्रीकी देशों का समावेश होने की बात इस अहवाल में दर्ज की गई है| अन्नसंकट का सबसे बडा झटका येमन, डीआर कांगो, अफगानिस्तान, इथिओपिया एवं सीरिया इन देशों को प्राप्त हुआ है, इस बात पर अहवाल में ध्यान आकर्षित किया गया है| येमन में बना अन्नसंकट मानव निर्मिती होेने की बात कहकर लगभग आधी जनसंख्या को अभी भी सही अनाज एवं मानवतावादी सहायता उपलब्ध हो नही रही, यह नाराजगी भी इस अहवाल में व्यक्त की गई है|

वर्ष २०१३ में अन्नसंकट और अन्य मानवतावादी सहायता के लिए १८ अरब डॉलर्स की रकम प्राप्त हुई थी| वर्ष २०१७ में इसमें २७ अरब डॉलर्स तक बढोतरी हुई है, फिर भी अन्नसंकट की असल समस्या पर शिकस्त हासिल करने में अभी भी सफलता प्राप्त नही हुई है, इस पर अहवाल में नाराजगी जताई गई है| साथ ही अन्नसंकट का इस्तेमाल ‘युद्ध के हथियार’ की तरह ना हो इस लिए कोशिश करने की जरूरत है और संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी इसके विरोध में भूमिका स्वीकारी है, ऐसा इस अहवाल में कहा गया है|

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