अफ़गानिस्तान से १८० हिंदू और सिख शरणार्थी आश्रय लेने के लिए भारत पहुँचेंगे

काबुल – बीते महीने में अफ़गानिस्तान से ११ सिख शरणार्थियों का पहला खेमा आश्रय लेने के लिए भारत पहुँचा था। इसके बाद अब और भी अफ़गानी हिंदू और सिख शरणार्थी भारत पहुँच रहे हैं। भारत में आश्रय लेने के लिए आ रहे इस दूसरे खेमे में १८० लोग होने की जानकारी सामने आ रही है। मार्च महीने में काबुल में तलिबान ने किए आत्मघाती हमले में सिख समुदाय के २५ लोगों की मौत हो गई। इसके बाद अफ़गानिस्तान में जारी तालिबान के आतंकी हमले और उत्पिड़न का शिकार हो रहे सिख धर्मियों को भारत में आश्रय दिया जाए, यह माँग हो रही थी। कुछ दिन पहले अफ़गानिस्तान से भारत आने की इच्छा रखनेवाले हिंदू और सिख धर्मियों को भारत में आश्रय देने का ऐलान भारतीय विदेश मंत्रालय ने किया था।

Hindu-Sikh-Afghanistanअफ़गानिस्तान में हिंदू और सिख धर्मियों पर हमले होने की वारदातें बढ़ी हैं। यहां पर बढ़ रहा आतंकवाद, हिंसा और भेदभाव के कारणों की वजह से यहां पर स्थित अल्पसंख्यांक भागकर भारत पहुँच रहे हैं। अफ़गनिसस्तान के अल्पसंख्यांक समुदाय को भारत में आश्रय देने की माँग की जा रही थी। बीते वर्ष भारतीय संसद में पड़ोसी देशों में स्थित हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और ख्रिश्‍चन इन अल्पसंख्यांक समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने के लिए ‘नागरिकता कानून में संशोधन करनेवाला कानून पारित किया गया था। इसी कानून के तहत भारत में आश्रय लेने के लिए आनेवाले अफ़गानिस्तान के हिंदू और सिख समुदाय के नागरिकों को भविष्य में भारत की नागरिकता भी प्राप्त हो सकती है, ऐसा कहा जा रहा है। वर्तमान में अफ़गानिस्तान के इन हिंदू और सिख शरणार्थियों को भारत आने के लिए कुछ दिनों का वीसा प्रदान किया जा रहा हैं।

बीते महीने में अफ़गानिस्तान से सिख समुदाय के ११ लोग भारत पहुंचे थे। इनमें निदान सिंग सचदेव का भी समावेश था। दो महीने पहले ही तालिबान ने सचदेव का अपहरण किया था और बड़े अत्याचार करके तालिबान ने एक महीने बाद उन्हें रिहा किया था। तालिबान ने रिहा करने के बाद वह अपने परिवार के साथ भारत पहुँचे थे।

इसी बीच, वर्ष १९८० में अफ़गानिस्तान की कुल जनसंख्या में ढ़ाई लाख हिंदू और सिखधर्मी थे। अब अफ़गानिस्तान में केवल १३५० हिंदू और सिखधर्मी बचे होने की जानकारी है। यह सभी लोग अफ़गानिस्तान में लगातार हो रही हिंसा से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और यह लोग आश्रय लेने के लिए भारत पहुँच रहे है।

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