दहशत और हिंसाचार से मुक्त परिस्थितियों में भारत पाकिस्तान से द्विपक्षीय बातचीत के लिए तैय्यार

विदेश मंत्रालय का पाकिस्तान को क़रारा जबाब

vikas swarupनई दिल्ली, दि. १ (पीटीआय)- आतंक और हिंसाचार से मुक्त माहौल में  भारत पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों पर द्विपक्षीय बातचीत करने के लिए तैय्यार है, ऐसा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने स्पष्ट किया। भारत को कश्मीर मुद्दे पर बातचीत करनी पडेगी, इसी कारण भारत पाकिस्तान के साथ बातचित टाल रहा है, ऐसा आरोप पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार ने किया था। उन्हीं आरोपों को जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भारत की भूमिका स्पष्ट की।

कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक न्यूज चॅनेल से बातचीत की थी। भारत के साथ साथ पाकिस्तान में भी, प्रधानमंत्री की इस बातचीत पर प्रतिक्रियाएँ आई थीं। पाकिस्तान बार बार लक्ष्मणरेखा पार कर रहा है, फिर भी भारत बातचीत करने के लिए दरियादिली क्यों दिखा रहा है, यह सवाल प्रधानमंत्री मोदी को बातचीत के दौरान पूछा गया था। उस पर प्रतिक्रिया देते हुए, लक्ष्मणरेखा पाकिस्तान की लोकनियुक्त सरकार निश्‍चित करेगी या पाकिस्तान पर सत्ता प्रस्थापित करनेवाली दूसरी शक्ति? ऐसा प्रतिसवाल प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। प्रधानमंत्री का निशाना पाकिस्तान की सेना पर था, यह स्पष्ट होने के बाद पाकिस्तान में इसपर विवाद शुरू हो चुका है। पाकिस्तान द्वारा कई स्तरों पर भारतीय प्रधानमंत्री का यह दावा खारिज करने के लिये पूरी तरह से प्रयास शुरू हुए हैं।

पाकिस्तानी सेना और सरकार में मतभेद हैं, ऐसी प्रतिमा भारतीय प्रधानमंत्री तैय्यार कर रहे है, ऐसी आलोचना पाकिस्तानी विशेषज्ञों द्वारा की जा रहीं है। वहीं, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अझिज ने आरोप लगाते हुए कहा कि भारत, पाकिस्तान के साथ कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत करनी पड़ेगी इसलिए भाग रहा है। साथ ही, पाकिस्तान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने, उनके देश की सेना भारत के साथ अच्छे संबंध बरकरार रखने के विरोध में नहीं हैं, यह बात स्पष्ट की। साथ ही, पाकिस्तान की सेना देश के लोकतंत्र को सहयोग दे रही है, ऐसा दावा भी पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झकारिया ने किया।

दरमियान, भारत के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने प्रेस कॉन्फरन्स लेकर, पाकिस्तान के साथ बातचीतसंबंधी भूमिका स्पष्ट की। आतंक और हिंसाचार से मुक्त माहौल में भारत पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मुद्दो पर बातचीत करने के लिए तैय्यार है। भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने जनवरी में, पाकिस्तान की माँग के अनुसार बातचीत करने की तैय्यारी की थी। लेकिन इसके बाद पठानकोट के हवाईअड्डे पर आतंकी हमला हुआ। अब भारत इस हमले पर पाकिस्तान  की तरफ से होनेवाली कार्रवाई की राह देख रहा है, इन स्पष्ट शब्दों में विकास स्वरूप ने भारत की भूमिका रखी।

sartaj azizपठानकोट पर हमला करनेवाले आतंकवादी पाकिस्तान से आये थे, इस बात को पाकिस्तान ने स्वीकार कर लिया है। इस संदर्भ में पाकिस्तान ने ‘एफआयआर’ भी दाखिल की गई है। लेकिन इसके बाद पाकिस्तान की जाँच आगे नही बढ़ी है। इस हमले की जाँच के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों की टीम भारत आई थी। फिर भी जाँच और कारवाई आगे नही बढ़ पा रही है, जिस कारण भारत ने पाकिस्तान के हेतु पर शंका उपस्थित की थी। दोनों देशों की चर्चा में यह बात प्रमुख रुकावट बन रही है।

इस पृष्ठभूमि पर, प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान की सेना और सरकार में बताये हुए मतभेदों से पाकिस्तान को मिर्च लगी, ऐसा प्रतीत होता है। ‘भारत के साथ अच्छे संबंध बरकरार रखने के लिए पाकिस्तान का विरोध नहीं है’ यह पाकिस्तान के विदेशमंत्रालय द्वारा आया खुलासा सबकुछ स्पष्ट कर रहा है। साथ ही, पाकिस्तानी सेना देश के लोकतंत्र प्रक्रिया को सहयोग कर रही है, यह दावा करके पाकिस्तान ने अपने देश की अस्मिता को सँभालने की कोशिश की है। भारतीय प्रधानमंत्री की अमरीका यात्रा को मिली सफलता की वजह से पाकिस्तानी सेनाप्रमुख अस्वस्थ हुए हैं। उन्होंने सेना के मुख्यालय में ही कॅबिनेट की बैठक बुलवाई थी। इस बैठक में सेनाप्रमुख ने विदेश मंत्रालय को फटकार लगाई, ऐसा बताया जाता है।

‘भारत की विदेश नीती को सफलता मिल रही है और तुम क्या कर रहे हो?’ यह सवाल सेनाप्रमुख ने विदेश मंत्रालय  की बागडोर हाथ में रहनेवाले सरताज अझिज से पूछा था। इसके बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई, ऐसा पाकिस्तानी मीडिया का कहना है। पाकिस्तानी सेना अपने हाथ में देश की बागडोर लेकर लोकतंत्र मजबूत करने की कोशिश कर रही है, ऐसा चित्र इससे पहले भी पाकिस्तान में दिखाई दिया था। इसी कारण प्रधानमंत्री मोदी ने ‘लक्ष्मणरेखा’ के बारे में किये हुए बयान पर पाकिस्तान से प्रतिक्रिया उमड उठी है। मुंबई पर हुए आतंकी हमले के मामले में पाकिस्तान ने भारत के पास ज्यादातर सबूतों की माँग की है। लेकिन पाकिस्तान ने अधिकृत तौर पर यह माँग नही की थी, ऐसा विकास स्वरूप ने स्पष्ट किया।

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